नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
15 साल के सरकार में कांग्रेस-राष्ट्रवादी ने किसानों को सहायता और कर्जमाफी के नाम पर केवल 20 हजार करोड़ रुपए दिए जब कि हमारी सरकार ने इन पांच सालों में 50 हजार करोड़ रुपया किसानों को दिया है, ऐसा दावा राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फ़डणवीस ने किया है। महाजनादेश यात्रा के दूसरे चरण में उस विशेष रथ से जिस से गृहमंत्री अमीत शाह ने पश्चिम बंगाल ओडीशा और कर्नाटक में भाजपा के लिए प्रचार किया था में सवार होकर जामनेर पहुंचे। मुख्यमंत्री ने जनसभा को संबोधित करते विपक्ष पर कड़ा हमला किया। उन्होने कहा कि आने वाले पांच सालों में राज्य को सुखामुक्त करेंगे, तापी मेगा रिचार्ज परीयोजना का काम आरंभ किया जाएगा, 2021 तक राज्य में कोई बेघर नहीं रहेगा। धारा 370 की उपलब्धि को भुनाते मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस धारा को कांग्रेस ने अपने स्वार्थ के लिए संविधान में जोड़ा था जिसके कारण जम्मू-कश्मीर का समग्र विकास नहीं हो सका। 370 के चलते आतंकवाद को अब तक पोसा गया लेकिन मोदी जी ने 370 को खत्म कर पाकिस्तान के मनसूबो को धराशाई कर दिया। अब एक राष्ट्र एक संविधान एक झंडे का हर भारतीय का सपना पूरा हुआ है। कश्मीर भारत का अंग बन चुका है। सांगली बाढ़ में वाटर पिकनिक से हुई किरकिरी पर मंत्री महाजन को क्लीनचिट देते मुख्यमंत्री ने महाजन को संकटमोचक करार दिया और राज्य विधानसभा के चुनाव में सफ़लता प्राप्त करने के लिए महाजन कि अहमियत और जरुरत पर जनता का अनूमोदन मांगा। मंच पर एकनाथ खडसे, रक्षा खडसे, रोहिनी खेवलकर, विकास महात्मे, उन्मेष पाटील, स्मिता वाघ, राजु भोले, चंदुलाल पटेल, हरीभाऊ जावले समेत अन्य पधाधिकारी मौजुद रहे।
राष्ट्रवादियों की गिरफ्तारियां
मुख्यमंत्री की सभा के बाद निकले काफीले को नगर परीषद तिराहे पर राष्ट्रवादी कांग्रेस की ओर से काले झंडे दिखाने का प्रयास किया गया जिसके दौरान राकांपा के नेता संजय गरुड तथा अन्य पदाधिकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया। सरकारी खर्चे पर पार्टी का जनाधार नापने भाजपा द्वारा आयोजित इस यात्रा में मुख्यमंत्री को प्रत्येक सभा में गिरीश महाजन के वाटर पिकनिक को उनके ढाढस से जोड़कर आखिर क्यों पेश करना पड़ रहा है? मराठा आरक्षण पर कानूनी वैधता के बारे में सीएम ठोस बात क्यों नहीं रख पा रहे हैं? कोल्हापुर – सांगली बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के बजाय पीड़ितों के लिए इकठ्ठा किया जा रहा चंदा राहत कोष के लिए सीधे सीएम को सौंपा जा रहा है आखिर विरोधाभास की मर्यादा का भी कोई सम्मान है या नहि? 370 की आड़ में जनसभाओं में नारे लगवाकर आखिर कौनसे राष्ट्रवाद को भुनाया जा रहा है? भाषण का स्तर राष्ट्रवाद तक सीमित कर दिया गया है जिससे राज्य की कई समस्याएं हवा हो गयी हैं। हाऊसफुल का बोर्ड लगाकर पार्टी में इनकमिंग को बल क्यों दिया जा रहा है? भाषणों में सीएम के आर्थिक मामलों के बयानों के विपरीत ग्राऊँड जीरो की स्थिती अलग क्यों है? किसानों की आत्महत्याएं, फ़सल बीमा में धांदली, आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, आरक्षण, सूखा और बाढ़ प्रबंधन में बरती गयी लापरवाही, लंबित छात्रवृत्ती जैसे तमाम मुद्दे महाजनादेश यात्रा से इस लिए भी गायब हो सकते है कि इन सब का जबाब धारा 370 और राष्ट्रवाद ही हो सकता है।
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