नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
24 जुलाई की रात करीब 9 बजे जामनेर के एक निजी अस्पताल में एक मरीज की आकस्मिक मौत पर अंजान भीड ने अपने आक्रोश का निशाना बनाया।
मिली जानकारी के अनुसार 22 जुलाई को पाचोरा सडक पर स्थित साई अस्पताल मे पेट दर्द कि शिकायत को लेकर उपचार के लिए भर्ती करायी गयी परवीन बी फिरोज खान कि आकस्मात मौत हो गयी। मृतक के परिजनों ने स्थानीय अखबारों में अपना पक्ष रखते कहा कि डाॅक्टर ने परवीन बी का सही तरीके से इलाज किया ही नहीं जबकि हमने डाॅक्टर से यह भी कहा था कि अगर आप से इलाज नहीं हो पा रहा है तो आप मरीज को डिस्चार्ज कर दें ताकि हम उन्हें किसी दूसरे अस्पताल मे भर्ती करा सकें। वहीं डाॅक्टर सुरेश नाईक ने अपना पक्ष रखते कहा कि सहयोगी मार्गदर्शक डाॅक्टर यूसुफ़ खान द्वारा मरीज की चिकित्सा के बाद हमने परिजनों को कहा कि वह मरीज को आईसीयू में भर्ती करवा दे क्योंकि उनकी हालत ठीक नहीं है, आईसीयू में हार्ट अटैक के कारण परवीन बी की मौत होने की बात भी डाॅ नाईक ने अपने पक्ष में कही है। वहीं मरीज को उच्च रक्तचाप, मधुमेह की शिकायत थी उपचार के दौरान उन्हें उल्टियां भी हुयी थीं, यह भी अखबारों की खबरों में बताया गया है। आखिर पेट दर्द जैसी सामान्य बिमारी से पीड़ित परवीन बी फीरोज खान को अपनी जान क्यों गंवाना पड़ी, इस सवाल के जवाब में डाॅक्टर द्वारा रखा गया पक्ष फिल्हाल मेडिकल साइंस से ताल्लुख रखने वाले बुद्धिजिवीयो और जानकारों के समझ से बाहर दिखायी पड रहा है। जनभावना के सम्मान के तहत मृतक के परिजनों का आक्रोश सही ठहराया जाना इस लिए भी जायज है क्योंकि परिजनों ने डाॅक्टर से पहले ही कह दिया था कि अगर परवीन बी की बीमारी का इलाज उनके बस की बात नहि है तो वह मरीज को डीसचार्ज कर दे ताकि परवीन बी के बेहतर स्वास्थ के लिए समय रहते किसी दुसरे अच्छे डाक्टर से परामर्श लिया जाता लेकिन यहा तो मरीज के जान को खतरा बनने कि स्थिति में उसे आईसीयू मे भर्ती कराया गया वह भी मार्गदर्शक डाॅ यूसुफ़ खान के परामर्श के बाद। परवीन बी ने आईसीयू में ही दम तोड दिया फ़िर गुस्साए लोगों ने प्रथम चिकित्सक डाॅ नाईक के अस्पताल मे जाकर तोड़फोड़ कर दी। मौके पर पहुची पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित कर कानून व्यवस्था को बिगडने से बचाया। इस पुरे मामले मे हैरान करने वाली बात यह है कि इतना सब कुछ होने के बाद भी कोतवाली मे किसी के खिलाफ़ कोई शिकायत दर्ज नहीं हो सकि है। एक काम जरुर हुआ है कि डा नाईक ने अपनी प्रतिक्रिया मे अखबारो को चंद लाईने दि है। सामान्य स्वास्थ कारणो के चलते इलाज के लिए भर्ती करायी गयी परवीन बी फिरोज खान कि आकस्मात मौत के बाद कुछ बचा है तो बस अपनी मां को खो चुके उनके बच्चो की सिसकियां और परिजनों का आक्रोश।
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