संदीप तिवारी, ब्यूरो चीफ, पन्ना (मप्र), NIT:
इस बार सरकार ने शिक्षण सत्र शुरू होने के पूर्व स्कूली बच्चे बच्चियों के बस्ते का बोझ कम करने के लिए घोषणा जरूर की थी लेकिन अमानगंज सहित पूरे पन्ना जिले में सरकार के आदेश का पालन कोई बिद्यालय करता नहीं दिखा रहा है।
ज्ञात हो कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पिछले वर्ष अक्टूबर माह में बाल अधिकार संरक्षण आयोग और सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के लिए निर्देश जारी किए थे की स्कूलों में कक्षा 1 कक्षा 2 के बच्चों को होमवर्क न दिया जाए। खास बात यह है कि सभी सरकारी और प्राइवेट विद्यालय अनुदान प्राप्त शालाओं में लागू करने की बात की गई थी। इस आदेश को जारी तो किया गया था लेकिन जानकारों का कहना है कि इस आदेश का पालन स्कूलों द्वारा नहीं किया जा रहा और उनकी मनमानी जारी है। जुलाई में विद्यालय खुले की कुछ स्कूलों का लूट का खेल जारी हो गया। किताबों के नाम पर, एडमीशन के नाम पर, स्कूल की फीस के नाम पर। कितनी कमाई होती है बच्चों के माता पिता की इन्हें क्या, बस मोटी रकम से खरीदो पुस्तकें, मोटी किताबों का बोझ और मोटे बस्ते की तरफ जा रहा बचपन इस बोझ तले दबता जा रहा है। स्पष्ट हो कि कक्षा 1 एवं 2 को 1.5 किलोग्राम बस्ते का वजन होना चाहिए जबकि कक्षा 3 से 5 का 2 से 3 किलोग्राम होना चाहिए कक्षा 6 का 7 का 4 किलोग्राम होना चाहिए किलोग्राम होना चाहिए, कक्षा 8/9 दसवीं का 5 किलोग्राम निर्धारित किया गया है लेकिन सरकारी प्राइवेट स्कूल इसे लागू नहीं कर रहे हैं साथ ही सभी शालाओं को यह भी निर्देश दिए गए थे कि कक्षा 1 एवं 2 में पढ़ने वाले बच्चों को घर में किसी प्रकार का होमवर्क इस लिए न दिया जिनसे उन पर मानसिक दबाव न बढ़ पाए इसलिए सरकार ने ऐसा किया था। अमानगंज में दिखा जाए तो बहुत से स्कूल ऐसे हैं जिनमें ना तो खेलने के लिए मैदान है ना बच्चों को सांस लेने के लिए खुली हवा मिल रही है, एकदम तहखाने की तरह स्कूल नजर आते हैं साथ ही विद्यालयों द्वारा चलाई जा रही बसों में किसी भी प्रकार का स्कूली नंबर भी आंकित नहीं होता नाही बस चालकों का कोई ड्रेस कोड निर्धारित है और स्कूलों में किसी प्रकार का हेल्प लाइन भी आंकित नही है जिससे जिला शिक्षा अधिकारी से सम्पर्क में अभिभावक बने रहें इसके लिए हर विद्यालय में सहायता केंद्र का कोई नंबर आंकित होना जरूरी है।
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