मेहलक़ा अंसारी, बुरहानपुर/भोपाल (मप्र), NIT:
गत दिवस सम्पन्न अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की मीटिंग में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की फटकार के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री संभवतः नींद से जाग कर अब अपनी सरकार बचाने की जुगाड़ में सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इशारे पर उन की टीम के गोपाल भार्गव सहित अन्य भाजपाईयों ने कई दिनों से उनके खिलाफ़ खासा मोर्चा खोल रखा है और तीर निशाने पर लगाने की जुगाड़ में अवसर की तलाश में हैं लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री के पिता का अकस्मात निधन होने से उनके क़दम शोक के कारण रूके हुए हैं । यह कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ को प्रकृति की ओर से अपनी हुकूमत को बचाने की जुगाड़ करने का एक सुनहरी मौक़ा मिला है। इधर यह भी समाचार है कि बुरहानपुर के निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेन्द्र सिंह शेरा भैया भी मध्यप्रदेश के मौजूदा और पूर्व मुख्यमंत्रियों के साथ प्लेन में यात्रा करने वाले फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल होते देखे गए जा रहे हैं और उनके चाहने वालों में खुशी की लहर दौड़ रही है। खबर तो यह भी है कि शेरा भैया बहती गंगा में हाथ धोऐंगे और मोटी रकम के साथ ऊर्जा मंत्री बनने की खबरें चौराहों पर चर्चा में है। वहीं बसपा की एक महिला विधायिका पर भी भाजपा की ओर से 50 करोड़ के आफ़र के साथ मंत्री पद मुफ्त अर्थात एक पर एक फ्री आफर की लालच देने का काम अंदरूनी तौर पर चालू होना बताया जा रहा है। स्वंय मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इन कार्यों का पर्यवेक्षण अपने नियंत्रण में रखा है और प्रदेश के मंत्रियों को आदेशित किया गया है कि वे अपने अपने ज़िलों के विधायकों की समस्याओं को सुनकर उनका निराकरण करें ताकि उनके दिलों का ग़ुबार हल्का हो। हालांकि पूरानी कहावत है कि सत्ता के आगे शानपत नहीं चलती लेकिन चूंकि अभी केंद्र में मोदी सरकार स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में वापस आई है। केंद्र और राज्य सरकार के रिश्ते अब कैसे रहते हैं। अगर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सही तालमेल और दोस्ताना रिश्ता रहा तो मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार टिक भी सकती है अथवा अन्य पार्टियों के विधायकों को सेट करने में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ अगर कामयाब हो गए तो मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करने के साथ सरकार भी बच सकती है। वर्ना बीजेपी ने भी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार पर वार करने के मौक़े की तलाश में और सत्ता में वापसी का मन बना ली है। अब देखना दिलचस्प होगा कि मध्यप्रदेश में राजनैतिक परिस्थितियां किस मोड़ पर जाती हैं और कांग्रेस सरकार बचाने में सफल होती है या भाजपा सरकार गिराने में?
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