दमोह लोकसभा क्षेत्र से प्रसिद्ध लोकगीत गायक है बसपा प्रत्याशी जित्तू खरे अभिनेता से बने नेता, बिगड़ सकता कांग्रेस-भाजपा का चुनावी गणित | New India Times

इम्तियाज़ चिश्ती, ब्यूरो चीफ, दमोह (मप्र), NIT:

दमोह लोकसभा क्षेत्र से प्रसिद्ध लोकगीत गायक है बसपा प्रत्याशी जित्तू खरे अभिनेता से बने नेता, बिगड़ सकता कांग्रेस-भाजपा का चुनावी गणित | New India Times

मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के दमोह लोकसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी प्रसिद्ध बुन्देली लोकगीत गायक जित्तू खरे बादल क्षेत्र की जनता का मनोरंजन राई, बधाई, लोकगीतों से किया करते हैं लेकिन अब वह राजनीति में उतर आये है और अब वो हाथी पर सवार होकर लोगों की सेवा करने की बात कह रहे हैं।

दमोह लोकसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने बुंदेली लोकगीत गायक जितेंद्र खरे बादल को अपना प्रत्याशी बनाया है। वर्तमान में दमोह जिले की एक विधानसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी की विधायक राम बाई काबिज हैं यही वजह है कि बहुजन समाज पार्टी को अब दमोह लोकसभा सीट पर अपना जनाधार नजर आने लगा है। यही वजह रही कि बुंदेलखंड के लोकप्रिय गायक जितेंद्र खरे को अपना प्रत्याशी बनाया है। यूं तो दमोह लोकसभा सीट से भाजपा के कद्दावर नेता प्रहलाद पटेल कांग्रेस से पूर्व विधायक प्रताप सिंह लोधी मैदान में हैं, इन दोनों के बीच लोकगीत गायक जीतू खरे की उपस्थिति राजनीति को और भी दिलचस्प बना रही है।

दमोह लोकसभा क्षेत्र से प्रसिद्ध लोकगीत गायक है बसपा प्रत्याशी जित्तू खरे अभिनेता से बने नेता, बिगड़ सकता कांग्रेस-भाजपा का चुनावी गणित | New India Times

जित्तू खरे बदल बुंदेलखंड के प्रसिद्ध लोक गायक है जिनकी राई बधाई और दादरा के ढेरों प्रशंसक है जो कल तक मंचों से जबाबी लोकगीतों से लोगों का मनोरंजन करता था आज वही जित्तू खरे मंचों से अपनी ही शैली में वोट के साथ साथ जीत का आशिर्वाद लेते फिर रहे हैं। अगर इनके चाहने वालों की जमात देखें तो हर उम्र का इनका और इनकी गायकी का दीवाना है लेकिन चुनावी दंगल में उतरकर राजनीति के बड़े बड़े दिग्गज़ों की नींद उड़ा दी है वो इसलिए कि जनता का प्यार पहले से ही मिलता था अब उनकी सेवा करने का जज़्बा इस लोक गायक में है जिसकी दम पर चुनावी मैदान में ताल ठोक दी है ।जनसंपर्क भी निराला अपने इलाके के मतदाताओं की भरी सभा मे जब जित्तू वोट माँगने की अपील भी करते है तो अपने ही अंदाज़ में देखे ये नेतागिरी का अलग अंदाज़। इतना ही नहीं जब जित्तू सभा लेते हैं तो उनके चाहने वाले हँस हँस के लोटपोट हो जाते हैं।


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