हाशिम अंसारी, ब्यूरो चीफ, सीतापुर (यूपी), NIT:
कई दशकों से कटान का दंश झेल रहे गांजर क्षेत्र के काशीपुर, मल्लापुर, कम्हरिया, बढहीन पुरवा शेखुपुर, असईपुर आदि दर्जनों गांवों के ग्रामीणों ने शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और उपेक्षा से आक्रोशित होकर 6 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव के मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा की है।
बताते चलें कि काशीपुर मल्लापुर, कम्हरिया, बरहीनपुरवा, शेखुपुर व असईपुर आदि दर्जनों गांव कई दशकों से शारदा नदी से होने वाले कटान की त्रासदी झेल रहे हैं। कई गांवों का अस्तित्व तो पूरी तरह से समाप्त हो चुका है और कई गांवों का कुछ अंश ही शेष बचा है जबकि दर्जनों गांव इस बार शारदा नदी की आगोश में समा जाने वाले हैं। शारदा नदी के बिल्कुल किनारे आ चुका कम्हरिया गांव अगर कट जाता है तो नदी सीधे अजयपुर झील में जाकर गिरेगी। अगर ऐसा हुआ तो 12 से 15 गांवों का अस्तिव पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। ऐसे में पचासों हजार लोगों के प्रभावित और विस्थापित होने की संभावना है। जबकि कटान से त्रस्त हजारों परिवार पहले से ही विस्थापित होकर दर-दर भटक रहे हैं और खानाबदोश की जिंदगी जी रहे हैं।
पिछले सप्ताह से नदी का जलस्तर बढ़ना शरू हो गया है, बढ़ते जलस्तर के साथ ही लोगों की धड़कनें भी तेज होने लगी हैं। लोग कटान से होने वाली अपनी तबाही की कल्पना से ही घबराये हुए है और भय तथा निराशा उनके चेहरे साफ देखी और पढ़ी जा सकती है।
आपको बता दें कि गांजर के इन दर्जनों गांवों के लोग लम्बे समय से कटान रोको संघर्ष मोर्चा के बैनर तले कटान से निजात पाने के लिए से संघर्ष कर रहे हैं और शासन प्रशासन व जन प्रतिनिधियों से कटान रोकने हेतु किसी ठोस व प्रभावी कार्य कराए जाने की मांग कर रहे हैं। कटान रोको संघर्ष मोर्चा के लगातार आंदोलन के चलते शासन प्रशासन के उच्चाधिकारियों व सरकार के कई मंत्रियों ने इन गांवों का बार बार दौरा किया, यहां तक कि स्वयं मुख्यमंत्री के द्वारा हवाई सर्वेक्षण भी किया गया लेकिन कोई परिणाम आज तक दिखाई नहीं दिया। कटान रोकने के लिए जो छिटपुट काम कराए भी गए वह कमीशन खोरी के मोल भाव के चलते काफी विलम्ब से शुरू हुए और कार्यपूर्ण होने से पहले ही बाढ़ सब कुछ बहाकर ले गयी।
इन गांवों को शारदा नदी के कटान से बचाने के लिए सिंचाई विभाग/प्रखंड शारदा नदी सीतापुर के द्वारा एक परियोजना बनाई गई थी और उक्त परियोजना को स्वीकृति प्रदान करते हुए शासन से 22 करोड़ 36 लाख रुपये की मांग की गई थी ताकि इन गांवों को कटान से बचाया जा सके। शासन के द्वारा इस परियोजना को स्वीकृति नहीं मिल सकी जिससे ग्रमीणों में काफी निराशा और आक्रोश देखने को मिल रहा है। उधर नदी का जल स्तर भी बढ़ना शुरू हो गया है जिसके चलते ग्रामीण भयाक्रांत हैं। अपने भय और आक्रोश को व्यक्त करने के लिए बुधवार को इन गांवों के ग्रामीणों ने कम्हरिया में इकट्ठे होकर एक सभा की। इस सभा में गांवों को कटान से बचाने की रणनीति पर चर्चा की गई और सबने यह निर्णय लिया कि हम लोग इस बार मतदान नहीं करेंगे। ग्रामीणों का तर्क है कि जब कोई हमारी पीड़ा को सुनने वाला ही नहीं है तो मतदान करने से फायदा ही क्या है?
इस अवसर पर शिव बरन लाल शुक्ल, संजय शुक्ल, राजकुमार शुक्ल मथुरा प्रसाद अवस्थी, कमलाकांत, उमा शंकर, ब्रजकिशोर, अनिल, राकेश कुमार, विकास मिश्र, देव नारायण, रमेश चन्द्र आदि सैकड़ों ग्रामीण व मोर्चा के कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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