अतिश दीपंकर, पटना (बिहार), NIT; भाकपा-माले द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि बिहार में आए दिन दलित-गरीबों-महिलाओं पर पुलिस और दबंग लगातार कहर बरप रहे हैं, लेकिन नीतिश सरकार इन सब घटनाओं की चिंता से मुक्त होकर शराब बंदी राग में मस्त है। होली के दरम्यान भी दबंगों व पुलिस के कहर से गरीबों को कोई राहत नहीं मिली है। एक तरफ शराब बंदी की आड़ में गरीबों पर पिछले कई महीनों से लगातार हमले किए जा रहे हैं। दूसरी ओर जब होली के समय शराब के नशे में धूत दबंगों और शराब विक्रेताओं ने महादलित गरीबों-महिलाओं पर जगह-जगह हमले किए तो नीतीश सरकार का प्रशासन कहीं नजर ही नहीं आया। फतुहा में होली के समय जब सतीश राम सहित अन्य महादलित युवकों ने अवैध शराब की बिक्री पर सवाल उठाया तो, शराब विक्रेताओं ने उन दोनों युवकों की बर्बर तरीके से पिटाई की। यह बिहार में कैसा शासन चल रहा है?
उन्होंने आरोप लगाया कि ,पटना जिले के दुल्हिन बाजार के इचीपुर में होली के मौके पर गोइठा जैसे मामूली सवाल को लेकर महादलित महिलाओ के साथ दबंगों के इशारे पर दुल्हिन बाजार के थाना प्रभारी ने गंभीर रूप से मार-पिटाई की और कई के सिर फाड़ दिए। पिटाई में 70 वर्षीय सुषमी देवी, मनोरमा देवी, बालकेश्वरी देवी सहित एक दर्जन से ज्यादा महिलाएं घायल हो गयीं।भाकपा माले राज्य सचिव ने मांग की है कि दुल्हिन बाजार थाना प्रभारी को अविलंब हटाया जाए।बिहटा के मुसेपुर पंचायत के चमरटोली में महिलाओं के साथ छेड़खानी का विरोध करने पर दबंगों ने दर्जन भर महादलित परिवारों का सिर फाड़ दिया। इसी प्रकार, अरवल जिले के करपी के नेवना गांव में भी 14 मार्च को शराब के नशे में धूत राजद समर्थित दबंगों ने मुसहर जाति के टोला पर हमला बोल कर कई घरों में तोड़-फोड़ की, सुशील मांझी के घर में आग लगा दी और उनकी बुरी तरह से पिटाई कर दी। सुशील मांझी फिल्हाल पीएमसीएच में भर्ती हैं। इस हमले में कुल 10 लोग घायल हैं, 3 घरों के चापाकल तोड़ दिए गए, बर्तन भी तोड़ा गया। हमले में 4 महिलायें भी बुरी तरह से जख्मी हुई हैं।
भाकपा-माले राज्य सचिव ने आगे कहा कि शराब बंदी के नशे में डूबी नीतीश सरकार दलित-गरीबों पर हो रहे हमले पर रोक लगाने में बिल्कुल असफल है। ये सारी घटनायें दिखलाती हैं कि बिहार में दलित-गरीबों और महिलाओं का लगातार दमन जारी है, लेकिन सरकार ने सामंती-दबंगों पर कार्रवाई करने के बजाए उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। यही वजह है कि दमन-उत्पीड़न की घटनायें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं।
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