अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
राजस्थान में कांग्रेसी सरकार गठित होने के बाद राज्य कांग्रेस धीरे धीरे संघमय होने लगी है और मुसलमान कांग्रेस के मंचों व नेताओं के मुख से निकले भाषणों व सरकारी योजनाओं एवं पार्टी एजेंडे से धीरे धीरे गायब होने लगे हैं। कांग्रेस के लोग इस तरह के कदमों को सरकार व पार्टी की चुनाव जीतने की रणनीति बताने के साथ साथ केंद्र से भाजपा सरकार हटाने की बात कहकर मुस्लिम समुदाय में फैल रही निराशा को खत्म करने में लगे हुये हैं लेकिन आम मुस्लिम मतदाता इन सब कदमों के बाद अब भी कांग्रेस को शक की नजर से देखने जरुर लगा है।
हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार के पिछले कार्यकाल में थानेदार फूल मोहम्मद को जिंदा जलाने के अलावा गोपालगढ की मस्जिद में नमाजियों को पुलिस गोलियों से भूनने सहित अनेक ऐसे कृत्य हुये जिनमें मुसलमानों को कुचला और दबाया गया जिनके गूनाहगार आज भी खूलेआम घूम रहे हैं। दो महिने पहले राज्य में बनी कांग्रेस सरकार के कामकाज व उसके चाल चलन पर नजर दौड़ाएं तो पाते हैं कि मुस्लिम समुदाय का शिद्दत व जोश के साथ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में मतदान करके सरकार बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने के बावजूद उनको वो कुछ नहीं मिलता नजर नहीं आ रहा है जिसके आम मतदाता होने के चलते वो हकदार थे।
सरकार आने के बाद राजस्थान में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की राजस्थान भर में हुई अनेक सभाओं में मंच व मुख्य वक्ताओं के तौर पर मुस्लिम नेताओं को पूरी तरह दूर रखा गया और 26-मार्च की जयपुर सभा में जीवन भर संघ नीति पर काम करते हुये मुस्लिम मुद्दों के खिलाफ प्रखर रुप से राजनीति करने वाले भाजपा सरकार में अहम मंत्री रहे घनश्याम तिवारी सहित अन्य नेताओं को कांग्रेस में शामिल करने के बाद मुस्लिम समुदाय में एक तरह से सन्नाटा छा गया है।
हालांकि कांग्रेस से जुड़े कार्यकर्ता व नेता मुस्लिम समुदाय में कांग्रेस सरकार के प्रति पनपती निराशा व चिंता को दबाने के लिये कहते घूम रहे हैं कि देश को बचाने के लिये भाजपा को हराने के लिये मुस्लिम समुदाय को एक दफा आंखें व कान बंद करके मात्र कांग्रेस का साथ देने का तय करके जमकर लोकसभा चुनाव में मतदान करना चाहिए। अगर कांग्रेस जरा भी मुस्लिम समुदाय की बात करती नजर आई तो भाजपा बहुसंख्यक मतों का ध्रुवीकरण करने में सफल हो जायेगी। तो एक दफा तो इस लोकसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय को जहर का प्याला भी पीना पड़े तो वो भी पीकर भाजपा को हराने का काम करें।
कुल मिलाकर यह है कि सरकार बनने के साथ अव्वल तो मंत्रीमंडल गठन व विभाग बंटवारे में सरकार की नीति देखने के बाद सरकारी स्तर पर एडवोकेट जनरल व एडिशनल एडवोकेट जनरल की नियुक्तियों के बाद सरकारी स्तर पर हो रही योजनाओं की घोषणाओं पर नजर रखने के अलावा मुख्य सभाओं में मंचों से मुस्लिम नेताओं को दूर रखने व उक्त सभाओं में मुख्य जिम्मेदार नेताओं के मुख से मुसलमान शब्द तक के ना निकालने की विवशताओं के अतिरिक्त घनश्याम तिवाड़ी जैसे नेताओं का कांग्रेस में जमावडा होने के बावजूद मुस्लिम समुदाय में मौजूद उनके खुद के कांग्रेसी कार्यकर्ता व अन्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा एक स्वर में मुस्लिम मतदाताओं में एक माहौल बनाया जा रहा है कि देश को बचाने के लिये इस समय सब कुछ बर्दाश्त करते हुये केवल मात्र भाजपा को हराने व कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने पर अपने आपको केंद्रित रखें।
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