सिर मुड़ते ही पड़े ओले: फोटो खिंचवाने की होड़ में भूल गए मर्यादा, वरिष्ठ नेताओं के सामने हुई माइक की छीना-झपटी | New India Times

वी.के.त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर-खीरी (यूपी), NIT:

सिर मुड़ते ही पड़े ओले: फोटो खिंचवाने की होड़ में भूल गए मर्यादा, वरिष्ठ नेताओं के सामने हुई माइक की छीना-झपटी | New India Times

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया नगर और ग्रामीण के संयुक्त तत्वाधान में केंद्र और प्रदेश सरकार के विरोध में धरना प्रदर्शन शिक्षक पार्क में किया गया। शिक्षक पार्क में सुबह से ही प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ग्रामीण जिलाध्यक्ष शिव मोहन सिंह चंदेल ग्रामीण जिला महासचिव सचिन वोहरा अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ पहुंच गए और विरोध प्रदर्शन चालू कर दिया। महताब आलम अपने कार्यकर्ताओं के साथ धरना प्रदर्शन देरी से शामिल हुए जहां धरना प्रदर्शन सुचारु रुप से चल रहा था जिसका संचालन सचिन वोहरा कर रहे थे। महताब आलम के समर्थकों ने फोटो खिंचवाने की होड़ में तो अनुशासनहीनता की हद ही पार कर दी। सचिन वोहरा के हाथ से माइक छीन लिया और संबोधन चालू कर दिया। सचिन वोहरा धरना स्थल से किनारे खड़े हो गए। धरना स्थल पर वरिष्ठ नेताओं के होने के बावजूद भी किसी ने भी इस गलत हरकत का विरोध नहीं किया। अब दौर की सबसे बढ़िया है जहां प्रदेश सरकार की कमियों को गिना रहे हैं। वह अपने ही वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ इस तरह का अपमानजनक व्यवहार होना गलत है। इससे अगर अध्यक्ष मेहताब आलम की कार्यशैली पर भी प्रश्नवाचक चिन्ह लगता है। शहर में पहला विरोध प्रदर्शन शिक्षक पार्क में किया जा रहा है। और जिसको देखकर पब्लिक भी चुटकी ले रही थी। नेताजी की नेतागिरी ऐसी ही है। जब अपनी ही पार्टी में अपने ही कार्यकर्ता और नेताओं को सम्मान नहीं दे रहे हैं। तो यह आम जनता को क्या सम्मान देंगे।शिवपाल सिंह यादव कहते हैं। यह सम्मान की पार्टी है। लेकिन इस पार्टी में जिस प्रकार से आज महताब आलम के समर्थकों ने सम्मान की परिभाषा को तार तार कर दिया। इसके लिए तो भगवान ही मालिक है। इसके लिए तो यही कहा जा सकता है कि सिर मुड़ते ही ओले पड़े। मुख्य रुप से उपस्थित रामनरेश यादव,शिव मोहन सिंह चंदेल, मेहताब आलम, शिवकुमार बेरिया, राजेंद्र त्रिपाठी स्वामी, विनोद प्रजापति, दुर्गा शंकर मिश्रा, सचिन वोहरा, सुनील शुक्ला आदि लोग मौजूद रहे।

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आज प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के धरने में कबीर का दोहा याद आ गया कि बुरा जो देखन मैं गया बुरा न मिलिया कोई जो मन देखा आपना मुझसे बुरा न कौय। शायद कबीर ने भी नहीं सोचा होगा कि यह दोहा शिक्षक पार्क में हो रहे धरने में साबित हो जाएगा।चले थे केंद्र प्रदेश सरकार पर धरने के माध्यम से आरोप लगाने लेकिन धरना स्थल पर ही शुरू हो गया अनुशासनहीनता का युद्ध, जहां सुबह से शिव मोहन सिंह चंदेल अपने ग्रामीण कार्यकर्ताओं की सैकड़ों की तादाद में पहुंचकर धर्मस्थल को सफल बनाने के लिए भर दिया था। वही नगर अध्यक्ष मेहताब आलमअपने मुट्ठी भर समर्थकों के साथ ग्रामीण की सैकड़ों की संख्या के ऊपर भारी पड़े। नगर अध्यक्ष मेहताब आलम के समर्थकों ने जिस प्रकार से शांतिपूर्वक हो रहे धरने को अशांति में तब्दील कर दिया उस की क्या बात है। जिसके बाद ग्रामीण अध्यक्ष शिव मोहन सिंह चंदेल को भी मंच छोड़कर पीछे जाना पड़ा। जहां कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने समझाने का प्रयास किया। लेकिन वही जाजमऊ के नेता जी ने अगर अपने समर्थकों को समझाया होता तो शायद हुआ विवाद शांत हो जाता है। लेकिन वही प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता कह रहे थे। कि यह समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता है जो पार्टी की छबि को खराब कर रहे हैं। वही इस हंगामे को देख कर पूर्व मंत्री शिवकुमार बेरिया ने तो अपना सिर पकड़ लिया और कहा कि हे भगवान यह कब सुधरेंगे अच्छा खासा धरना हो रहा था और धरने का सत्यानाश कर दिया।


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