अविनश द्विवेदी, ब्यूरो चीफ भिंड (मप्र), NIT:
नवागत कलेक्टर एस धनराजू साहब के आने से पहले जिले में वैसे कई कारनामे देखने को मिले होंगे लेकिन आज के खुलासे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि तत्कालीन कलेक्टर आशीष कुमार गुप्ता का रोचक कारनामा, उन्होंने तो नियमों को ताक पर रख कर अपने चहेते खनिज सर्वेयर को कार्यपालिक अधिकारी तक बना दिया और उनको कार्यवाही करने का अधिकार तक सौंप दिया जो कि पुर्णतः गलत है, जबकि नियम के अनुसार तृतीय श्रेणी के कार्यपालिक कर्मचारी को कार्यवाही करने का कोई अधिकार मध्यप्रदेश गौड़ खनिज नियम में नहीं है, कार्यवाही करने का अधिकार केवल और केवल प्रथम, द्वतीय एवं तृतीय श्रेणी के कार्यपालिक कर्मचारी को होता है। चूँकि चहेते कर्मचारी को आदेश करने के पीछे क्या चाहत रही थी यह भिण्ड का ज्यादातर जनमानस जान चुका है और भिण्ड में बीते दिनों कैसे भ्रस्टाचार करके बदस्तूर लूटमार हुई है उससे सभी वाकिफ हैं और अभी तक जारी है।
फिर बात वहीं आती है कि जब सैयां भये कोतवाल तो डर काये का, अपना कलेक्टर और अपना खनिज अधिकारी भाड़ में जाये दुनिया सारी और होने लगे बड़े बड़े कारनामे जिसमें एक कार्यवाही बहुत चर्चित रही, उसमें नयागांव थाना अंतर्गत द्वार खदान की कार्यवाही पूरी संदेह के घेरे में रही जिसमें साफ तौर पर 4 मशीनें पकड़ी गयी थी और उन मशीनों को खराब करने तक के वीडियो सामने आए और फिर कलेक्टर साहब ने मीडिया से भी 4 मशीनों पर कार्यवाही स्वीकार भी की लेकिन इसके बाद 3 मशीनें मौके से फ्री में छूट गयीं और 1 मशीन पर 50000 रुपये का सुविधा जनक जुर्माना शुल्क लेकर मामला रफा दफा कर दिया गया। अब करते भी क्यों न् चहेते तृतीय श्रेणी के कर्मचारी को कार्यवाही के जो अधिकार सौंप दिए गए थे,नियमों को धता बताकर कार्यवाही करने वाले अधिकारी प्रिय सर्वेयर और खनिज अधिकारी द्वारा अतरसूमा में रेत का अवैध डम्प पकड़ा गया था जिसकी कीमत लाखों में आंकी गयी थी, लगभग 250 ट्रक रेत चोरी चला गया मामले में जानकारी मिली कि किसी को उसका सुपुर्दगी नामा ही नही दिया और रेत को मूक सहमति देकर चोरी करने के लिये छोड़ दिया था जिसमें शासन को राजस्व के रूप में लाखों की चपत लगी थी और रेत और गिट्टी से भरे ओवर लोड बिना रॉयलटी वाले वाहनों को पकड़ना छोड़ना ये तो आम बात है जो लगातार चलता आ रहा है।
यहां बता दें कि निवर्तमान कलेक्टर डॉ इलैया राजा टी ने गुप्ता जी के चहेते कर्मचारी को 2 दिन में ही एक सैकड़ा से अधिक वाहनों को पुलिस की अभिरक्षा से छोड़ने के आदेश वाले मामले में दोषी माना था क्योंकि जारी किये गए आदेश में सर्वेयर ने स्वयं के हस्ताक्षर कर वाहनों को छोड़ने के आदेश जो दिए थे हालांकि इस भ्रस्टाचार वाले मामले में आदेश करना कर्मचारी के अधिकार क्षेत्र में न होना पाया गया जिसमें जांच के बाद तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी ने कार्यवाही की थी और परिणाम स्वरूप सर्वेयर को निलंबित कर दिया गया था, जिन्हें डी.एम के तबादले के बाद बड़े भ्रस्टाचार का बड़ा इनाम देकर कलेक्टर आशीष जी ने जाँच पूर्ण न होने की स्थित में भी काम की बढ़ती पेंडेंसी का हवाला देकर बहाल कर दिया और फिर कैसे कैसे कारनामे हुए जिसकी कहानी
ऊपर लिखी जा चुकी है।
अधिकारी ने क्या कहा:-
मामला मेरे संज्ञान में नही है और चुनाव में समय की व्यस्तता है आप मुझे अभी बता रहे हैं, जारी आदेश के बारे में मुझे कुछ भी जानकारी नही है, इसलिए मैं मामले में अभी कुछ नही कह सकता हूँ, आप मुझे आदेश मेसेज कर देना: एस. धनराजू कलेक्टर भिण्ड
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