फराज़ अंसारी, बहराइच (यूपी), NIT:
बहराइच जिला अस्पताल में सरकारी डॉक्टरों द्वारा प्राइवेट प्रेक्टिस करने, अस्पताल में इलाज कराने आये मरीजों को बाहर की दवा लिखने, अस्पताल में जांचों की सुविधा होने के बावजूद भी तैनात डॉक्टरों द्वारा बाहर से जांच करवाने आदि जैसे मुद्दों को हमने कई बार इससे पहले भी उजागर किया है। इन्हीं मुद्दों को लेकर मौजूदा बेजीपी सांसद सावित्री बाई फूले ने जिला अस्पताल पहुंच अस्पताल प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए जिला अस्पताल परिसर में एक दो नहीं बल्कि दस घण्टों तक ज़मीन में ही बैठ कर अपनी ही पार्टी की सरकार में धरना दिया। सांसद ने अस्पताल की बदहाल व्यव्यस्था को जल्द से जल्द सुधारे जाने के लिये जिलाधिकारी को अस्पताल प्रांगण में उनके धरने में आ के अस्पताल की खामियों के बारे में वार्ता करने की जिद पकड़ी। समूचा जिला प्रशासन सांसद जी को मनाने की कवायद में जुट गया। मौके पर सीडीओ, सीएमओ और सीएमएस के साथ-साथ पुलिस अमला भी जिला अस्पताल पहुंच गया और सांसद से धरना समाप्त करने की विनती करने लगा लेकिन भाजपा सांसद ने किसी कि एक न सुनी और वह अपनी मांगों पर अड़ी रहीं। जिसके बाद आखिरकार जिला अधिकारी माला श्रीवास्तव को जिला अस्पताल पहुंचना पड़ा। जिलाधिकारी को सांसद ने जिला अस्पताल की खामियां गिनाते हुए उसकी बदहाल हो चुकी व्यव्यस्था को जल्द से जल्द सुधारने की मांग की जिस पर जिलाधिकारी ने भी व्यवस्थाएं शीघ्र ही सुधारे जाने का आश्वासन दिया। जिला अधिकारी के आश्वासन पर सांसद महोदया ने अपना धरना समाप्त कर दिया। सांसद के लगातार 10 घण्टों तक धरना देने और जिला अधिकारी के स्वयं के दिये गए आश्वासन के बाद लगा था कि जिला अस्पताल की बदहाल तस्वीर अब जल्द ही गुलज़ार होगी और यहां की खामियां और दुश्वारियां अब जल्द ही बेहतर हो सकेंगी और आम जनता को अब बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मयस्सर हो सकेंगे लेकिन जिला अस्पताल ने सांसद के धरने को चंद घण्टों बाद ही अपना ठेंगा दिखा दिया और लोगों की यह आशा 24 घण्टे तक भी टिक न सकी और जिला अस्पताल के जिम्मेदारों की लापरवाहियों और उनकी उदासीनता की एक तस्वीर धरना समाप्त होने की अगली ही रात जिला।अस्पताल के इमरजेंसी सेवा में देखने को मिली।
लगभग 40 लाख की आबादी वाले जिले में बीमारी दूर करने के लिए जिला अस्पताल ही आम जनता का एक मात्र सहारा है। ऊपर से पड़ोसी जिला श्रावस्ती और बलरामपुर के लोग भी अपने जिलों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में इस जिला अस्पताल में इलाज कराने को मजबूर हैं। जिले में इस समय संक्रमण ने पैर पसार रखा है। अब तक 80।से ज़्यादा मौतें महज़ दो महीनों में हो चुकी हैं। मामले ने तूल पकड़ा तो मंत्री से लेकर नेता प्रतिपक्ष और विपक्षी दलों के साथ साथ मौजूदा सत्ताधारी दल की सांसद भी अस्पताल पहुंच गयीं। लोगों में आस जगी कि जिला अस्पताल की बदहाल व्यव्यस्था अब जल्द ही सही हो सकेगी और उन्हें बेहतर इलाज मिल सकेगा लेकिन जिला अस्पताल के जिम्मेदारों ने मशहूर अभिनेता शाहरुख खान और सिने अभिनेत्री प्रीति जिंटा की फ़िल्म वीर ज़ारा के इस गाने “हम तो भाई जैसे हैं वैसे रहेंगे, अब कोई खुश हो या हो खफा, हम नहीं बदलेंगे अपनी अदा।” के बोल को एकदम सिद्ध साबित कर दिया है। सांसद महोदया का धरना शनिवार की रात को समाप्त हुई और अगली रविवार की रात को ही 40 लाख की आबादी वाले जिले में इमरजेंसी सेवा के लिये मुख्य चिकित्सा अधीक्षक महोदय ने महेज़ नये आये एक डॉक्टर को तैनात कर दिया। इस इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर खुर्शीद साहब जो अभी जिले में नये ही आये हैं मरीजों को देखते कम फोन पर बात करते ज़्यादा नज़र आये। इमरजेंसी कक्ष में मरीजों की लगी भीड़ जिसमे को दर्द से कराह रहा तो कोई अपनों के दर्द को देख कर रो रहा लेकिन डॉक्टर साहब को इससे क्या वह तो बस अपनी सरकारी ड्यूटी कर रहे हैं। आधा-आधा घण्टे से दर्द से कराह रहे मरीजों को दर्द का इंजेक्श तक लगाने का डॉक्टर साहब के पास समय नहीं था। स्थिति बिगड़ी तो तीमारदारों ने इमरजेंसी में हंगामा भी शुरू कर दिया जिस पर डॉक्टर ने लोगों से दो टूक में जवाब दे दिया कि इंजेक्शन मैं नहीं लगाऊंगा वार्डब्वाय लगायेगा। डॉक्टर साहब यहीं नहीं रुके इसके आगे उन्होंने यह भी कह दिया कि मैं इस समय अकेला हूँ क्या करूं जिसको ज्यादा जल्दी हो वह यहां से जा सकता है और जाकर बाहर प्राइवेट डॉक्टर को दिखा ले। हो रहे हंगामे की सूचना पर कवरेज को हम भी जिला अस्पताल पहुंच गये। इमरजेंसी में मची अफरा-तफरी को देख हमने तत्काल सीएमएस डा0 डी0के0 सिंह से दूरभाष पर वार्ता कर स्थिति से अवगत कराया जिस पर सीएमएस साहब ने मामला दिखवा लेने की बात कही। सीएमएस साहब से बात होने के डेढ़ घण्टे बाद तक हम वहां मौजूद रहे लेकिन न तो वहां सीएमएस साहब पहुंचे और न ही किसी अन्य डॉक्टर की तैनाती की गयी। ऐसे स्थिति तब है जब जिला अस्पताल चर्चा का विषय बना हुआ है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आम दिनों में स्थिति क्या होगी। सवाल यह उठता है कि क्या भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर साहब अगर किसी दर्द से तड़प रहे मरीज को एक इंजेक्शन लगा देंगे तो उनकी इज़्ज़त कम हो जायेगी क्या इनसानियत से ज़्यादा अहमियत अहम रखता है। वहीं इमरजेंसी सेवा में महेज़ एक फ्रेशर डॉक्टर को ही तैनात करना जिला अस्पताल प्रशासन की लापरवाहियों का एक और जीता जागता नमूना है। अब देखना यह है कि जिम्मेदारो को अपनी जिम्मेदारी का एहसास आखिर कब हो सकेगा।
सीएमएस बोले जल्द हालात सही करने का प्रयास जारी
इस सम्बन्ध में हमने अगले दिन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर डी0के0 सिंह से दूरभाष पर बात कर उनका पक्ष जानना चाहा तो पहले तो सीएमएस साहब मामले में लीपा पोती करते रहा बाद में उन्होंने माना कि स्थिति गड़बड़ है। उन्होंने कहा कि अभी उन्हें आये महेज़ कुछ ही समय हुआ है ऐसे में उन्हें थोड़ा वक्त चाहिये चीजें सुधारने के लिये। जब हमने उनसे सवाल किया कि हमने स्वयं बीती रात की अव्यवस्था से उन्हें रात्रि 10 बजकर 44 मिनट पर दूरभाष पर अवगत कराया और फिर हम स्वयं 12 बजे तक इमरजेंसी में मौजूद रहे। अवगत कराने के बावजूद भी उन्होंने इसे गम्भीरता से लेते हुए किसी अन्य डॉक्टर की तैनाती इमरजेंसी सेवा में क्यों नहीं की तो उन्हों बातों को गोलमोल घुमाते हुए किनारा कस लिया हालांकि उन्हीं कहा कि वह सभी चिकित्सकों जे साथ एक बैठक कर इस बाबत आवश्यक दिशा निर्देश देंगे और पुनः इस तरह की समस्याओं से आम जन को दो-चार न होना पड़े इसके लिये बेहतर उपाय करेंगे। अब देखना यह है कि सीएमएस साहब कब तक बेहतर उपाय करने में सफलता प्राप्त कर लेंगे जिससे आमजन को राहत मिल सके।
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