अब्दुल वाहिद काकर, ब्यूरो चीफ धुले (महाराष्ट्र), NIT;
महाराष्ट्र के धुलिया संभाग की परिवहन जांच चौकियों पर निजी पंटरों के माध्यम से आरटीओ इंस्पेक्टरों द्वारा महाराष्ट्र से गुजरात आने जाने वाले ट्रक चालकों से इंट्री के नाम पर अवैध रूप से वसूली करने का सनसनीखेज मामला सामने है। इसी वसूली से परेशान होकर एक ट्रक चालक ने जलगांव एंटी करप्शन विभाग में बेडकी पाडा परिवहन चौकी में निजी पंटरों द्वारा की जा रही अवैध वसूली का भंडाफोड़ किया था। एंटी करप्शन जलगांव के द्वारा दबिश दे कर रंगे हाथों गिरफ्तार करने के बाद देने के भी अवैध वसूली का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
बताया जाता है कि रुपये के बल पर परिवहन विभाग के इंस्पेक्टर जांच को भी ठंडे बस्ते में डाल देते हैं और शिकायतकर्ता व सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं को भी ब्लैकमेलर बता कर कानून कार्रवाई करने की धमकी देने से भी नही डरते हैं। कुछ ऐसे ही कागजात NIT के धुले जिला ब्यूरो चीफ के हाथ लगे हैं जिसमें करीब 47 आरटीओ इंस्पेक्टरों ने शिकायत कर्ता विजय पाडवी संदीप मराठे द्वारा दायर की गई शिकायत पर परिवहन विभाग ने तो भ्रष्ट अधिकारियों की जांच नहीं की उलटा शिकायत कर्ता पर कानूनी कार्यवाही करने का प्रस्ताव परिवहन आयुक्त कार्यालय और एंटी करप्शन ब्यूरो को भेजा है।
वही पर इस प्रकरण में सहायक आरटीओ विजय भोये ने आयुक्त कार्यालय को भेजी रिपोर्ट में बताया है कि चेकपोस्ट पर निजी क्षेत्र के पंटर नही हैं जो कि सरार झूठ हैं। एनआईटी जिला ब्यूरो चीफ के पास मौजूद फ़ोटो और वीडियो में साफ तौर पर निजी क्षेत्र के पंटरों के द्वारा चेकपोस्ट चौकी को घेर रखा देखा जा सकता है जो ट्रक चालकों से धमाका कर अवैध तरीके से वसूली कर रहे हैं।विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ आरटीओ चेक पोस्ट बेडकी पाडा रिश्वतखोरी का अड्डा बना हुआ है। यहां हर काम निजी दलालों के मार्फत ही होता है और आरटीओ इंस्पेक्टरों में जबर्दस्त तालमेल है। मतलब बिना रिश्वत दिए यहां कोई भी काम होना संभव ही नहीं है। कहने को तो शासन बदला और निजाम बदला, पर न बदला आरटीओ की कार्यशैली।
बेडकी पाडा चेक पोस्ट पर गत दिनों एक ट्रक चालक से कागजात पूरे होने के बावजूद ₹500 की रिश्वतखोरी के मामले में दो निजी पंटर और एक आरटीओ इंस्पेक्टर को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ जलगांव एंटी करप्शन के पुलिस उप अधीक्षक ने गिरफ्तार किया था जिसकी जांच पड़ताल नंदुरबार एंटी करप्शन ब्यूरो के उप पुलिस अधीक्षक शिरीष जाधव कर रहे हैं।
सूचना अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों की जानकारी के अनुसार असिस्टेंट आरटीओ विजय भोये ने उन की जांच रिपोर्ट में परिवहन आयुक्त कार्यालय की दिशा भूल करते हुए लिखा है कि चेक पोस्ट पर इंसपेक्टर ही जुर्माना वसूलते हैं और आने जाने वाले यात्री सीमा जांच चौकी के आसपास होते हैं जो कि सफेद झूठ है। जलगांव एंटी करप्शन के अधिकारियों ने रंगे हाथों गत दिनों परिवहन विभाग के इंस्पेक्टर के लिए ट्रक चालक से रिश्वत लेते हुए निजी आदमी को गिरफ्तार किया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नंदूरबार एंटी करप्शन विभाग द्वारा डेप्युटी आरटीओ एन डी बछाव तथा असिस्टेंट आरटीओ पर खासी मेहरबानी बरती गई है जिसका सबूत स्वयं परिवहन विभाग द्वारा दिनांक 05 जुलाई 2018 के पत्र में लिखा गया है कि चेक पोस्ट पर कोई निजी क्षेत्र के आदमी कार्य नही करते हैं, तो एंटी करप्शन ब्यूरो जलगांव ने निजी क्षेत्र के पंटरों को कैसे गिरफ्तार किया था?
एंटी करप्शन नंदुरबार की जांच पर सवालिया निशान
धुलिया परिवहन संभाग की बेडकी पाडा चेक पोस्ट पर दिनांक18 /7/2018 को शिकायत कर्ता ने एंटी करप्शन विभाग जलगांव को शिकायत दर्ज करा कर निजी पंटर सहित आरटीओ अधिकारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कराया था जिसकी जांच नंदुरबार के एंटी करप्शन विभाग द्वारा की जा रही है। जब संवाददाता ने जांच अधिकारी से फोन पर निजी पंटर तथा आरोपी आरटीओ इंस्पेक्टर का नाम और जांच की दिशा पूछा तो विभाग के अधिकारी ने बताया है कि गोपनीय कारवाई की जा रही है जिसके चलते आरोपियों के नामों की घोषणा नहीं कि जा सकती है। जबकि एंटी करप्शन विभाग के अन्य मामलों में आरोपी के नाम और वरिष्ठ अधिकारियों के दर्ज बयान और उन पर विभाग द्वारा की गई कारवाई सार्वजनिक तौर बताया जाता है लेकिन परिवहन विभाग के इन भ्रष्ट अधिकारियों के नाम नहीं बताए जा रहे हैं।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर इन रिश्वतखोर अधिकारियों व दलालों को कौन संरक्ष्ण दे रहा है? इस मामले में जिम्मेदार परिवहन अधिकारी भी कन्नी काटते नजर आ रहे हैं। आरोप है कि बडे जिम्मेदार अधिकारी भी इस बन्दर बांट में शामिल हैं।
संभाग में NH-6 पर स्थित बेडकी पाडा चेक पोस्ट पर ओवरलोडेड गाड़ियों का गुजरात में जाने से रोकने के लिए लगाए गए परिवहन विभाग की चेक पोस्ट पर निजी पंटरों और अधिकारियों के पॉकेट गर्म करने के बाद ही वाहन को चेक पोस्ट से छोड़ा जाता है। पैसे नही दिए तो परमिट फाइल नही दी जाती है, शिकायत करने पर विभागीय अधिकारी सिर्फ जांच करने की बात कह कर मामले को टाल देते हैं। वैसे भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होने से लगातार भ्रष्ट अधिकारियों का पॉकेट गर्म तो होता ही है लेकिन सरकार के राजस्व का भी भारी नुकसान होता है। परिवहन विभाग की चेक पोस्ट बंद होनी चाहिए ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके: इनाम सिद्दीकी, प्रभारी निरीक्षक, समाजवादी पार्टी, धुलिया/नंदूरबार, महाराष्ट्र।
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