अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT; तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री वीपी सिंह द्वारा मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू कर भारत की विभिन्न जातियों को कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार पिछड़ा मानकर अलग से उनको आरक्षण दिया गया था। तब पता नही कैसै उसमें अनेक मजबूत जातियों को भी शामिल किया गया था। उसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा राजस्थान की मजबूत जाट जाति को भी पिछड़ा वर्ग में शामिल करते हुये उन्हें आरक्षण का लाभ देने के आदेश जारी करवाने के बाद से भारत की अनेक मजबूत जातियों ने भी भारत के अलग अलग हिस्सों में आरक्षण पाने के लिये समय समय पर आंदोलन शुरू किये जो रुक रुक कर अब भी जारी हैं। उन मजबूत जातियों मे गुजरात के पटेल व महाराष्ट्र के मराठा प्रमुख रुप से माने जा रहे हैं।हालांकि हरियाणा व यूपी के जाट अभी भी आरक्षण पाने के लिये आंदोलन करते व सरकार द्वारा आदेश जारी करवाते रहते हैं, लेकिन सरकार के आदेश के बावजूद उन आदेशों पर हर बार न्यायालय द्वारा स्टे या खारिज करने पर उनको अभी तक पूरी तरह आरक्षण नहीं मिल पा रहा है। जबकि राजस्थान की जाट जाती को प्रदेश व केंद्र में आरक्षण प्राप्त है। जबकि भारत भर के यादव व विश्नोई जैसी मजबूत जातियों को आरक्षण पहले से प्राप्त है। जरा जाट, यादव, विश्नोई, मराठा व पटेल जाती पर हर तरह से विश्लेषण करें तो उक्त पांचों जातियां सभी स्तर पर समान समान नजर आती हैं।
पिछले एक अरसे से आरक्षण पाने के लिये गुजरात व महाराष्ट्र में चल रहे आंदोलन में महाराष्ट्र में मराठों की तरफ से अनेक जगह हिंसक प्रदर्शन हुये है। जबकि मराठा आरक्षण के लिये हाईकोर्ट ने एक कमेटी गठित कर रखी है। जो कमेटी महाराष्ट्र में जगह जगह जाकर मराठाओं की स्थिति का आंकलन करके हाईकोर्ट को रिपोर्ट देगी। उस रिपोर्ट पर फिर हाईकोर्ट फैसला करेगा।
कुल मिलाकर यह है कि आरक्षण देने व पाने के लिये एक प्रक्रिया से सबको गुजरना होता है। दूसरी तरफ लोकतंत्र में सबको अपने स्तर पर लोकतांत्रिक तरिके से मांग रखने का अधिकार प्राप्त है। लेकिन कुछ लोग अपनी मांग मनवाने के लिए चलाये गये आंदोलन को हिंसक रुप में बदल देते हैं, जिसकी लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है। राजस्थान के जाट जाति को बिना सड़क पर उतरे जिस शांति के साथ आरक्षण मिला था, उस तमाम प्रक्रिया की अन्य जातियों को स्टडी जरूर करनी चाहिये। हां यह सही है कि जब जाट-विश्नोई व यादव को आरक्षण मिल सकता है तो महाराष्ट्र के मराठा व गुजरात के पटेल को भी आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है।
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