200 परिवारों को चालीस साल बाद भी नहीं मिला जमीन का मालिकाना हक, किसानों ने प्रशासन को दी आत्मदाह की चेतावनी | New India Times

तारिक खान, रायसेन ( मप्र ), NIT; ​200 परिवारों को चालीस साल बाद भी नहीं मिला जमीन का मालिकाना हक, किसानों ने प्रशासन को दी आत्मदाह की चेतावनी | New India Timesविदिशा-रायसेन मार्ग पर दीवानगंज के समीप स्थित गीदगढ़ गांव में रहने वाले 200 परिवारों को 40 साल बाद भी उनकी भूमि का मलिकाना हक संबंधी दस्तावेज नही मिल पाया है। इन दस्तावेजों के अभाव में न तो यहां पर रहने वाले ग्रामीणों को खाद बीज मिल पा रहा है और न ही उन्हें कोई बैंक लोन देती है। इतना ही नहीं प्राकृतिक आपदा से फसलों के नुकसान का मुआवजा भी नहीं मिल पाता है। सालों से यह पीड़ा झेल रहे गांव के लोगों के सब्र का बांध अब टूट गया है। भू-अधिकार और ऋण पुस्तिका नहीं मिलने की स्थिति में गांव के लोगों ने आत्मदाह करने की चेतावनीकतक प्रशासन को दे डाली है। मंगलवार को इस गांव के लोग बड़ी संख्या में जिला मुख्यालय पर आए थे, जिन्होंने कलेक्टर से भेंट कर अपनी व्यथा सुनाई थी। 

डीएफओ रमेश गनावा ने मीडिया को बताया कि गीदगढ़ गांव पहले वन ग्राम था। इस कारण गांव की भूमि वन विभाग के अधीन है, लेकिन यहां के लोग जमीन पर खेती तो कर सकते हैं, लेकिन वे उसे बेच नहीं सकते है। हालांकि इस जमीन को वन विभाग से राजस्व विभाग को हस्तांतरित करने के लिए डी नोटिफिकेशन करने का प्रस्ताव दिल्ली भेजा गया है, वहां से अब तक डी नोटिफिकेशन संबंधी आदेश जारी नहीं हो सका है। 

पूर्व विधायक प्रभुराम चौधरी ने बताया कि सांची विधानसभा क्षेत्र के गांव गीदगढ़ के मसले को उन्होंने भी विधानसभा में उठाया था। 2016 में विधायक आरिफ अकील फिर से इस गांव की बात को विधानसभा में उठा चुके हैं। विधानसभा प्रश्न के उत्तर में गांव को राजस्व गांव में शामिल करवाकर ग्रामीणों को सुविधाएं दिलाने का भरोसा दिलाया गया, लेकिन अब तक ग्रामीण सुविधाओं से वंचित हैं। ​200 परिवारों को चालीस साल बाद भी नहीं मिला जमीन का मालिकाना हक, किसानों ने प्रशासन को दी आत्मदाह की चेतावनी | New India Timesगीदगढ़ गांव से आए किसान सैय्यद आसिफ अली, लाखन सिंह मीणा, वृंदावन शर्मा, रामस्वरूप धाकड़, मन्नूलाल धाकड़, मुकेश धाकड़, पन्नालाल साहू, मोहरसिंह, विनाेद शर्मा और मूलचंद शर्मा सहित अन्य किसानों का कहना था कि उनकी चार पीढ़ियां उक्त जमीन को जोत रही है। 1932 के पहले यह गांव राजस्व गांव था, बाद में उसे केंद्र सरकार द्वारा वनग्राम घोषित कर दिया गया। वन विभाग द्वारा बाद में इस गांव की जमीन को राजस्व विभाग को हस्तांतरित भी कर दी गई। भूअधिकार पुस्तिका नही मिलने को लेकर किसान कलेक्ट्रेट पंहुचे थे।

वरुण अवस्थी, एसडीएम रायसेन ने बताया किवन और राजस्व विभाग द्वारा जमीन को लेकर सर्वे होना बाकी है। इसके बाद ही उक्त ग्रामीणों को भू-अधिकार संबंधी दस्तावेज जारी हो सकेंगे। प्रयास किए जा रहे है कि मामला जल्दी हल हो जाए।


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