ओवैस सिद्दीकी, अकोला (महाराष्ट्र), NIT;
सरकार का यह एक अभ्यासी नहीं आभासी बजट है। इसके मध्यम से गरीबों के सपनों से खिलवाड किया गया है। रेल्वे की बढती टिकटों के रेट की वजह से स्लीपर में सफर करने वाले को स्लीपर कोच में बैठने के कबिल नही छोडा गया है और हवाई सफर के सपने दिखाए जा रहे हैं। दूसरी ओर नौकरी वालों को किसी प्रकार की रिआयत नही दि गई है। बजट का बडा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र को डिजीटल बनाने हेतु निकाला गया है जिससे किसानों को नहीं बडी इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पनियो को फायदा होगा। इसी के साथ देश में अधिक हवाई अड्डों के निर्माण पर जोर दिया गया तो दूसरी ओर सफर की कीमतें भी बढा दी गई जिससे मुसाफिरों पर और बोझ बढेगा। आखरी बजट भी सरकार का गरीबों के विरोध मे रहा:
डॉ. वाय डी खान, पीएचडी ऍग्री।
बजट के मध्यम से आम आदमी पर बोझ और बढा दिया गया है। गरीब की थाली और महेंगी हो गई है। सरकार अपनी चुंबकीय शक्ती से गरीब देश वासियों का पैसा खींचना चाहती है। चुनाव से पूर्व किए गए वादे निभाने में सरकार असफल रही। गरीबों की थाली मंहगी कर दी गई, जो सरासर अनन्या है। युवाओं, गरीबों, महिलाओं, विद्यार्थियों को इस से कोई राहत नहीं, ऐसा न हो कि इस बजट के नतीजे सरकार को 2019 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिले। कुल मिलाकर बजट के मध्यम से सरकार का फायदा एवं गरीबों का नुकसान नजर आरहा है: ऍड नजीब शेख।
आयकर की सीमा बढानी चाहीए थी, एक समय इसी पांच लाख आयकर पर विरोध किया जाता था लेकिन अब ढाई लाख तक ही आयकर की सीमा रख दी गई। पिछले बजट के मुकाबले इस बजट में नागरिको, विद्यार्थीयो, व्यवसायिकों की विभिन्न आशाएं जुडी थी लेकिन बजट निराशा जनक सबित हुआ है। किसी भे क्षेत्र में आम नागरिक को कोई फायदा नजर नही आ रहा है। विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप का मुद्दा खास है, लेकीन इस संदर्भ में भी कोई नई योजना नजर नही आई। नोट बंदी के बाद मार्केट में एक प्रलय आ गया था जिसे नई व्यवसायिक योजनाओं की जरुरत थी लेकिन बजट में इसका भी ख्याल नहीं रखा गया: प्रा. राहुल इंगले।
सरकार का आखरी बजट भी जनता के लिए समाधान कारक नहीं रहा। नागरिकों की भावनाओं से खिलवाड किया गया। बेरोजगारों, विद्यार्थियों, किसानों को बजट के मध्यम से कोई राहत नही मिली। सरकार का यह आखरी बजट अभ्यासिक होना चाहिए था। शिक्षा, स्वस्थ के क्षेत्र में कोई नई योजनाएं नहीं दी गईं, इसी को लेकर युवा असंतोष व्यक्त कर रहे हैँ। बजट और अच्छा हो सक्ता था लेकिन सरकार की दोगली निती के चलते केवल बडी कंपनियों के फायदे की योजनाएं लाई गईं। कांग्रेस सरकार की पुरानी योजनाओं को नए कपडे पहनाकर सरकार स्वयं का प्रचार एवं प्रसार करना चाहती है:
पराग कांबळे (पार्षद एवं स्थायी समिती सदस्य अकोला मनपा)
पिछले 3 सालों से सरकार की ओर से नागरिक हित के लिए कोई उचित कदम नहीं उठाए गए। यह बजट नागरिकों को अच्छा सबित होने की आशाएं थी लेकीन सरकार का यह आखरी बजट भी जनता के लिए निराशा जनक सबित हुआ है। बजट द्वारा केवल ख्वाब दिखाने का काम किया गया है, विरोधी पक्ष मे रहते समय मा. अरुण जेटली आयकर की पांच लाख की सीमा के लिए विरोध करते नजर आते थे लेकिन अब सत्ता में आने के बाद स्वयं ही आयकर की सीमा ढाई लाख कर दी। सरकार की नीतियां आम जनता के बिल्कुल खिलाफ हैं। जो भी नई सुविधाएं बताई जा जारी हैं वो कांग्रेस के शासित काल की ही हैं जिसे केवल पौलिश कर सामने लाया ज रहा है:
ऍड इकबाल सिद्दीकी,पार्षद मनपा अकोला।
इस शादी-विवाह के अवसर पर ही रेल सफर के दाम बढाकर सरकार ने आम आदमी की कमर तोडी है। महंगाई की वजह से पहले ही नागरिक परेशान थे, नए विभिन्न वस्तुओं की टैक्स वृद्धि कर सरकार ने एक प्रकार से नागरिकों के साथ विश्वास घात किया है। अच्छे दिन का वादा विफल होता नजर आ रहा है। सरकार का बजट किसान विरोधी, युवाओं को बेरोजगारी की ओर धकेलने वाला, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति विरोधी नजर आ रहा है। शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों की आशाओं को तोडऩे वाला साबित हुआ है। बजट के मध्यम से विद्यार्थियों के लिए नई स्कॉलरशिप की योजनाएं लाई जानी चाहिए थीं लेकिन इस संदर्भ में कुछ नही सोचा गया। देश मे अधिक हवाई अड्डे बनाने पर जोर दिया गया है जिससे आम नागरिकों का कोई फायदा नही, मौजुदा बजट गरीबों पर और बोझ बढाने वाला सबित होगा:
सलीम सिद्दीकी, कार्याध्यक्ष महाराष्ट्र शिक्षण व जनकल्याण समिति)।
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