एनएसयूआई ने मुख्य सचिव को सौंपे नर्सिंग घोटाले के कागजात , दोषियों के खिलाफ की सख्त कार्यवाही की मांग | New India Times

अबरार अहमद खान/मुकीज़ खान, भोपाल (मप्र), NIT:

एनएसयूआई ने मुख्य सचिव को सौंपे नर्सिंग घोटाले के कागजात , दोषियों के खिलाफ की सख्त कार्यवाही की मांग | New India Times

मध्यप्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग महाघोटाले को लेकर राष्ट्रीय छात्र संगठन ( एनएसयूआई ) ने एक बार फिर सरकार को घेरते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की है। एनएसयूआई मध्यप्रदेश के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा, जिसमें मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र उच्च स्तरीय जांच, दोषियों के तत्काल निलंबन तथा आपराधिक मुकदमा दर्ज कर न्यायिक प्रक्रिया प्रारंभ करने की माँग की गई है।

दिए गये ज्ञापन में कहा गया है कि इस घोटाले का पर्दाफाश हुए एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका है, फिर भी अब तक सभी दोषियों पर उचित कार्रवाई नहीं की गई है। वर्ष 2024 में तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा आयुक्त द्वारा 110 से अधिक डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे। किन्तु वर्तमान आयुक्त श्री तरुण राठी द्वारा केवल 70 व्यक्तियों को ही आरोप पत्र जारी किया गया, जिससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि शेष दोषियों को जानबूझकर बचाया जा रहा है।

रवि परमार का कहना है कि गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल की तत्कालीन नर्सिंग प्राचार्य राधिका नायर को शासन द्वारा हटाया गया है, लेकिन जिन अन्य अधिकारियों और स्टाफ को नोटिस जारी हुए थे, जैसे – पूर्व प्राचार्य रोसी शाहुल, डॉ. जितेन्द्र महावर, डॉ. हरिसिंह मकवाना, डॉ. संदीप मर्सकोले, डॉ. वीरेंद्र धुर्वे, एवं नर्सिंग स्टाफ रजनी नायर, प्रियदर्शिनी डेहरिया, दीपिका कुंभारे, राजश्री मालवीय पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

इसी प्रकार, नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, जबलपुर के अंतर्गत शासकीय नर्सिंग कॉलेज की प्राचार्य स्टेला पीटर , ईस्टर शीबा एंड्रयूज और आरती तिवारी को भी आरोप पत्र जारी किए गए हैं, फिर भी उन्हें अब तक पद से हटाया नहीं गया है। इससे जांच की निष्पक्षता पर गहरा संदेह उत्पन्न होता है।

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि पूर्व में प्रतिभा सिंह ठाकुर द्वारा कई फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को अवैध रूप से मान्यता दी गई थी, और एनएसयूआई ने 4 अप्रैल 2025 को चिकित्सा शिक्षा आयुक्त को लिखित शिकायत भी की थी, किन्तु अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

एनएसयूआई की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

  1. प्रदेशभर में फैले नर्सिंग घोटाले की उच्च स्तरीय, स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराई जाए।
  2. जिन अधिकारियों, प्राचार्यों एवं स्टाफ पर संलिप्तता के आरोप हैं, उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर, जांच अवधि तक पदमुक्त रखा जाए।
  3. चिकित्सा शिक्षा आयुक्त श्री तरुण राठी की भूमिका की उच्चस्तरीय समीक्षा की जाए, क्योंकि उनके कार्यकाल में दोषियों को संरक्षण दिए जाने के गंभीर प्रमाण सामने आए हैं।
  4. प्रतिभा सिंह ठाकुर सहित अन्य दोषियों पर प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर आपराधिक मामला दर्ज कर न्यायिक कार्रवाई प्रारंभ की जाए।

एनएसयूआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि समय रहते दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई नहीं की जाती है, तो संगठन प्रदेशभर में छात्र हितों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए जनांदोलन करने को बाध्य होगा।

रवि परमार ने कहा, “नर्सिंग घोटाले जैसे संवेदनशील मुद्दे पर सरकार की निष्क्रियता, चिकित्सा शिक्षा की साख को गहरा आघात पहुँचा रही है। हम तब तक शांत नहीं बैठेंगे जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती।


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