राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत हुई अंतर्विभागीय कार्यशाला | New India Times

जमशेद आलम, ब्यूरो चीफ, भोपाल (मप्र), NIT:

राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत हुई अंतर्विभागीय कार्यशाला | New India Times

राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत अंतर्विभागीय कार्यशाला का आयोजन 11 मार्च को पर्यावरण एवं नियोजन संगठन (एपको ) में किया गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय भोपाल द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में शासकीय एवं निजी क्षेत्र के चिकित्सकों के साथ-साथ लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, पंचायत विभाग, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान , पशुपालन एवं डेयरी विभाग, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विभाग , इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, यूनिसेफ , कुक्कुट पालन विभाग, कृषि एवं उद्यानिकी, पुलिस विभाग, मलेरिया विभाग, नगर निगम, जेल विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल हुए। कार्यशाला में यूनिसेफ द्वारा विशेष रूप से सहयोग दिया गया।

कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए राज्यमंत्री लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा श्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि पर्यावरण को हो रहा नुकसान भविष्य की सबसे गंभीर समस्या है। इस दिशा में आज ही सचेत होना जरूरी है। आने वाले पीढ़ी के लिए सबसे बड़ा उपहार स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण है। पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर हो रहे दुष्प्रभावों को रोकने के लिए सभी विभागों और गैर सरकारी संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य विभाग पर्यावरण असंतुलन से होने वाली बीमारियों के उपचार के साथ साथ जागरूकता कार्यक्रमों को भी चला रहा है। 

कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ प्रभाकर तिवारी ने कहा कि पर्यावरण में होने वाले बदलावों के कारण फलों, सब्जियों और अनाजों की पौष्टिकता में कमी आ रही है। साथ ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण श्वसन तंत्र, त्वचा, आंखों की बीमारियों के साथ साथ क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज (सीओपीडी ) का प्रमुख कारण है। जिससे क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। पर्यावरण प्रदूषण से असंचारी रोग भी बढ़ रहे हैं। पर्यावरण को प्रदूषित कर हम अगली पीढ़ी के लिए बीमारियां छोड़ रहे हैं। गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग पर्यावरण प्रदूषण से अधिक प्रभावित होते हैं।

स्टेट नॉलेज सेंटर एपको के समन्वयक डॉ लोकेंद्र ठक्कर ने कहा कि पर्यावरण का असंतुलन मौसम, पेड़ पौधों, जीव जंतुओं पर भी दिखाई देता है। स्वास्थ्य विभाग भोपाल द्वारा स्वप्रेरणा से आगे बढ़कर निरंतर इस दिशा में काम किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय भोपाल द्वारा पिछले कुछ वर्षों में उन्मुखीकरण कार्यक्रमों एवं जागरूकता अभियानों के द्वारा इस दिशा में निरंतर संवेदीकरण किया जा रहा है।

कार्यशाला में जलवायु परिवर्तन के मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के साथ साथ जीव जंतुओं पर होने वाले नकारात्मक प्रभावों पर भी चर्चा की गई। कार्यशाला में विभिन्न विभागों के विषय विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी गई। जिनमें यूनिसेफ के डॉ सौरभ सक्सेना  अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से डॉ नेहा आर्य, उप संचालक पशुपालन विभाग डॉ मीनाक्षी शर्मा, मत्स्य पालन विभाग से श्रीमती सरिता सोंधिया एवं कुमारी प्रियांशी सोनी, एप्को संस्थान से श्री रवि शाह एवं आईसर से डॉ शांतनु ताल्लुकदार द्वारा संबोधित किया गया।


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