नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
विधानसभा चुनाव से पहले नाराज़ चल रहे ठेकेदार कर्नाटक की तरह बीजेपी को महाराष्ट्र की सत्ता से उखाड़ फेंकने में नाकाम रहे लेकिन आज वे खुलकर सरकार के विरोध में सड़क उतर आए हैं। समूचे प्रदेश में छोटे बड़े दो लाख ठेकेदारों का एक लाख करोड़ रुपया राज्य सरकार पर बकाया है। जलगांव जिले में 400 पंजीकृत ठेकेदारों ने काम बंद आंदोलन शुरू कर दिया है। PWD दफ़्तर पहुंचे ठेकेदार लॉबी ने अधिशाषी अभियंता को मिलने का समय मांगा बदले में आर डी पाटिल ने संवाद किया।

‘पैसा हमारे हक का नही किसी के बाप का’ इस नारे ने उन नेताओ के कान बहरे कर दिए होंगे जो कट कमीशन से हजारों करोड़ की प्रॉपर्टी बनाकर बैठे हैं। विकासकों का कहना है कि उन्होंने सभी विकास कार्य पूरे कर दिए हैं बावजूद इसके सरकार उनको सारा बिल देने के बजाये 8-10% पेमेंट दे रही है। फरवरी 2025 तक सरकार पर 550 करोड़ रुपया बकाया है।

संगठन ने PWD के कार्यालय प्रांगण में अपने तकनीकी तामझाम को लाकर पटक दिया। ज्ञात हो कि चुनाव के दौरान विपक्ष के कई नेताओं ने कहा था कि बीजेपी ने राज्य की आर्थिक स्थिति इतनी गंभीर कर रखी है कि आने वाले समय में ठेकेदार अप्रिय निर्णय लेने की सोच विकसित कर सकते हैं। आठ साल बीत चुके है और अरबी समंदर में शिवाजी महाराज की प्रतिमा नहीं लग सकी है वजह राज्य दिवालिया हो चुका है। महाराष्ट्र का बजट सत्र समीप है तिज़ोरी RBI के पास गिरवी पड़ी है। 8 लाख 10 हजार करोड़ रुपए का कर्ज़ और डेढ़ लाख करोड़ रुपए के वित्तीय घाटे से जूझ रही राज्य की अर्थव्यवस्था 2029 तक पटरी पर आने की हालत में नहीं है। अपने प्यारे विकास की स्वस्थ सेहत के लिए केंद्र सरकार कोई पैकेज देगी इसकी कतई उम्मीद नहीं है। गोदी मीडिया की मेहरबानी से धर्म की आड़ में फले फूले पूंजीवाद का समाज पर हो रहा दुष्प्रभाव दिखना शुरू हो चुका है।
अगली रिपोर्ट में हम आपको दक्षिण भारत की बड़ी बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनियों के महाराष्ट्र कनेक्शन की जानकारी देंगे।
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