अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:

प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता पर एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने गंभीर सवाल खड़े करते हुए कहा कि भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. प्रभाकर तिवारी के खिलाफ उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला से उनके भ्रष्टाचार की शिकायत किए जाने के बावजूद, उन्हीं से जवाब मांगा जाना प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। वहीं प्रभाकर तिवारी के खिलाफ एनएसयूआई ने मोर्चा खोल दिया है।
रवि परमार ने कहा कि गौरतलब है कि यह पत्र मध्यप्रदेश शासन के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी की पत्नी एवं संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं, भोपाल संभाग, डॉ. नीरा चौधरी द्वारा जारी किया गया है। इससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि कहीं किसी प्रकार का राजनीतिक दबाव तो नहीं बनाया जा रहा? आखिर क्या मजबूरी है कि शिकायतकर्ता की मांग के अनुरूप निष्पक्ष जांच के बजाय आरोपी अधिकारी से ही जवाब मांगा जा रहा है ?
रवि ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि डॉ प्रभाकर तिवारी एवं डॉ प्रज्ञा तिवारी के काले कारनामों की अधिकारियों को जानकारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही जबकि डॉ तिवारी द्वारा करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया गया है। एनएसयूआई साक्ष्यों के साथ हाईकोर्ट जाएगी। सीएमएचओ कार्यालय के सिविल इंजीनियर हेमंत पटेरिया और अन्य डॉ और कर्मचारी फर्जी अस्पतालों से वसूली करके सीएमएचओ सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पहुंचाने का कार्य करते हैं। वहीं परमार ने ये भी कहा कि मध्य प्रदेश में पारदर्शिता और सुशासन की बात करने वाली सरकार को इस मामले में त्वरित संज्ञान लेना चाहिए और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि आमजन का सरकारी तंत्र पर विश्वास बना रहे।
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