अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:

भोपाल के दो युवाओं ने सर्दी के मौसम में ऐसे लोगों की मदद के लिये अपील की है जिनके पास न तो ओढ़ने के लिए कम्बल होता है और न ही पहनने के लिए गर्म कपड़े। सर्दी की रातें गरीबों के लिए बहुत भारी पड़ती हैं। उन्हें तलाश रहती है किसी ऐसे मसीहा की जो आकर उनको ठंड से बचा सकें ताकि ठिठुरते हुए रात उन्हें न गुजारनी पड़े। बहुत से गरीब इन सर्दी की रातों में खुले आसमान के नीचे कांपते रहते हैं हालांकि ऐसे कई लोग हैं जो गरीबों की पीड़ा को समझते हुए नेक कार्य के लिए आगे आते हैं और गर्म कपड़े, कंबल आदि का वितरण कर लोगों को मानव सेवा के लिए प्रेरित करते हैं।
गरीबों के लिए सर्दी का मौसम काफी कष्टप्रद रहता है। गर्मी में तो काम चल जाता है, कहीं भी पड़े रहो इतनी दिक्कत नहीं होती लेकिन सर्दी में उनके लिए भारी मुसीबत होती है। कड़ाके की ठंड में बिना कपड़ों के उनको रातें गुजारनी पड़ती हैं। ठिठुरते हुए वह किसी तरह से रात व्यतीत करते हैं। युवा समाजसेवी उमर गुल खान एवं मोहम्मद अली खान का कहना है कि हाल ही में तीन लोगों की ठंड के कारण मौत हो गई थी इस खबर ने उन्हें झकझोर दिया और अगले ही दिन उन्होंने ग़रीबों को ठंड से बचाने की ठान ली।
कोहेफिजा पुलिस चौकी के पास इन युवाओं ने एक केंप लगाया है जहां दिनभर लोग गर्म कपड़े एवं कंबल डोनेट करते हैं। फिर यह युवा रात को शहर के विभिन्न क्षेत्रों में घूम कर जरूरतमंदों को कंबल एवं कपड़े वितरित करते हैं। उनकी इस शानदार पहल से क्षेत्र के लोग बहुत प्रभावित हैं ।
NIT के माध्यम से इन युवाओं ने इस ठंड के मौसम में गरीब बेसहारा लोगों की मदद की अपील की है। आपकी थोड़ी सी मदद इन बेसहारा महिलाओं, बच्चों और वृद्धों की जिंदगी में सुकून की गर्माहट ला सकती है।
कड़कड़ाती ठंड में सड़क किनारे, फुटपाथ, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और टेम्परेरी शेल्टर्स में सैंकडों की तादाद में ऐसे गरीब लोग दिख जाते हैं जिनके पास न तो ओढ़ने के लिए कम्बल होता है और न ही पहनने के लिए गर्म कपड़े। ठंड का मौसम इन बेसहारा गरीबों पर कहर बन कर टूटता है।
आप भी पुराने गर्म कपड़े, कम्बल या नकद राशि के जरिए इस काम में सहयोग कर सकते हैं। आप की मदद जरूरतमंदों तक पहुंचा दी जाएगी ताकि वह भी कड़कड़ाती ठंड में सुकून की नींद सो सकें।
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