ओवेस सिद्दीकी, अकोला (महाराष्ट्र), NIT; अकोला शहर में गरीबों के राशन पर डाका डालते हुए सरकारी राशन की काला बाजारी जोरों पर चल रही है। शासकीय वितरण प्रणाली का अनाज राशन वितरण परवाना धारकों द्वारा निजी दुकानों तथा बाजारों में बेचे जाने की सूचना प्राप्त हुई है।विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शहर में राशन का अनाज लभर्थियों को न देते हुए गैर कानूनी तारीके से कला बाजारी की जा रही है। ज्ञात रहे कि शासन द्वारा केसरी कार्ड धारकों को जो प्राधान्य गट में हैं, उन्हें प्रति व्यक्ती 5 किलो अनाज गेहूं, चावल दिया जाता है। इसी के साथ गरीबी रेखा कार्ड धारकों को गेहूं चावला प्रति व्यक्ति 5 किलो दिया जाता है लेकिन परवाना धारकों द्वारा मनमानी किए जाने के आरोप नागरिकों द्वारा लगाए जा रहे हैं। शासन की ओर से लाभार्थियों की जो सूची पारवाना धारकों को मिली थी उसे ना बताते हुए केवल कुछ नाम ही यादी में आए हैं। “अभी आपको राशन नही मिल सकता” आदि शब्दों का उपयोग कर गरीब लाभार्थियों को राशन के अनाज से वंचीत रखे जाने के आरोप नागरिक लगा रहे हैं।
सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सभी कोटेदारों द्वारा बडे पैमाणे पर राशन का अनाज अवैध रूप से शहर के किसी बडे अनाज व्यापारी को भारी मुनाफे में बेचा जाता है, जहां से यह राशन का अनाज निजी किराना दुकानों तथा बाजारों मे अंदाजन 600 रुपये प्रति 50 किलो में फरोख्त किया जाता है। इस राशन के अनाज को किराना दुकान वाले ज्यादा मुनाफे पर ठोक एवं खुद्रा के रूप मे बेचते हैं। यह राशन के चावला एवं गेहूं शहर की किराना दुकानों पर आसानी से उपलब्ध है, जो कलाबाजारी द्वारा किराना दुकान धारकों को प्राप्त होता है। इस ओर अन्न आपुर्ती विभाग पूर्ण तारीके से आँखे बंद किए हुए है। विगत दिनों ऐसा ही राशन अनाज कालाबाजारी का मामला जिले के अकोट शहर में पेश आया था। जिले में राशन की कालाबाजारी जोरो पर है तथा गरीब लाभार्थी राशन कार्ड होते हुए भी शासन की विविध सेवाओं से वंचित हैं। ऐसा लगता है की राशन कार्ड अब केवल शासन की दूसरी सेवाओं जैसे राजीव गांधी जीवनदाई योजना, श्रवण बाळ आदि के लिए ही सीमित रह गया है।
इस संदर्भ में जिलाधिकरी या अन्न आपुर्ती अधिकारी जांच कर असली लाभार्थियों को लाभ दिलाएं एवं जिले में जारी कलाबाजारी एवं इसमें शामिल कलाबाजारियों पर अंकुश लगाए जाने की मांग जिले के नागरिकों द्वारा की जा रही है तथा यह सवाल किए जा रहे हैं कि कहीं इस कला बाजारी में अन्न पुरवठा के आला अधिकारी भी तो लिप्त नहीं हैं ?
नागरिकों द्वारा लिखित रूप में शिकायत प्राप्त होने पर कारवाई की जायेगी। नागरिकों द्वारा विभाग पर लगाए गए आरोप गलत हैं। राशन काला बाजारी को पूर्ण रूप से रोकने का प्रयास अन्न आपुर्ती विभाग की ओर से किया जायेगा: संतोष शिंदे, जिला अन्न आपुर्ती अधिकारी
राशन कार्ड प्राप्त होने को कारीब दो साल हो गए हैं, अब तक किसी भी प्रकार के अनाज का लाभ नहीं मिला है, बार बार परवाना धारक से संपर्क करने पर इस संदर्भ में कोई उचीत जवाब नहीं दिया गया: मो एजास मो हयात (टेलर) आकोटफाईल परिसर।
परवाना धारकों द्वारा अनाज ना दिए जाने तथा सूची में शासन द्वारा नाम ना आने का बहाना बताकर राशन के अनाज के कला बाजारी किए जाने की शिकायातें नागरिको द्वारा बार-बार प्राप्त हो रही हैं, इस ओर अन्न आपुर्ती विभाग विशेष मोहीम द्वारा कारवाई करे तथा नागरिकों को उनका हक ना मिल्ने पर संस्था द्वारा लोकशाही तरीके से जन आंदोलन किया जायेगा: सैययद नासिर, संस्थापक अध्यक्ष (युवा जण लोकशाही आंदोलन)
गरीबों को अनाज नहीं मिल रहा है, मुझे भी कारीब 2-3 सालों से राशन दुकान से एक अन्न का दाना भी नहीं मिला है। मैं आपुर्ती विभाग से विनंती करता हूँ कि हम जैसे गरीबों पर ध्यान दें और हमारा अनाज शुरू करे शुक्रिया: मुन्ना मालिक; वंचीत लाभार्थी
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