जाम के झाम में जूझ रहा कस्बा मैगलगंज, जिम्मेदार बेखबर, कस्बे में अतिक्रमण हटाने के नाम पर हुई केवल खानापूर्ति | New India Times

वी.के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:

जाम के झाम में जूझ रहा कस्बा मैगलगंज, जिम्मेदार बेखबर, कस्बे में अतिक्रमण हटाने के नाम पर हुई केवल खानापूर्ति | New India Times

जाम की झाम में फंसा कस्बा मैंगलगंज, मुख्य कारण अतिक्रमण सड़क की सफेद पट्टी पर भी दुकानदारों का कब्जा। ऐसा भी नहीं की अतिक्रमण व जाम को हटाने की औपचारिकता न निभाई जाती हो तमाम बार असफल प्रयास हो चुके पर कभी राजनीतिक दबाव तो कभी इच्छाशक्ति की कमी के कारण कस्बा भयंकर अतिक्रमण के चपेट में और जिसके चलते जाम बहुत बड़ी समस्या। होटलों व चाट के ठेलों के सामने दर्जनों की संख्या में ई-रिक्शा का डेरा पैदल चलने वालों के लिए मुसीबत का सबब। कस्बे में अतिक्रमण को लेकर हमेशा चर्चा तो होती हैं पर अतिक्रमण हटाने का अभियान नही दिखता वजह कुछ भी रहती हो एक बडी समस्या है जो विकराल रूप धारण कर चुकी है।

अतिक्रमण करने वाले अपनी दुकानों के सामने आर्थिक लाभ लेने के चक्कर मे चाट व फल के ठेले लगवा लेते है और उसके आगे ग्राहक अपने अपने वाहन तो खड़े करते हैं साथ ही अपनी दुकानों के सामान को सड़कों तक फैला लेते दुकानदार और कुछ जगह तो चाट पकोड़ी व होटलों के सामने बेतर्किब वाहन खड़े रहते हैं जिससे जाम की स्थिति उत्पन्न रहती हैं और स्थानीय पुलिस प्रशासन सब कुछ देखकर भी अंजान बना रहता हैं। कस्बे में अतिक्रमण बड़ी समस्या है मुख्य बाजार में तो अतिक्रमण है ही अन्य सड़कों जिला मुख्यालय मार्ग, मढिया व बरगवां में में बाजार पर अतिक्रमण विकराल रूप ले चुका है।

प्रशासन द्वारा कभी कभार अतिक्रमण हटाने के लिए बात तो होती है पर किन्हीं कारण वश शायद राजनैतिक दबाव या इच्छाशक्तू की कमी की वजह से अभियान शुरू होने से पहले ही दम तोड़ देता है एक दोबारा प्रयास तो हुआ पर कार्रवाई के दौरान अतिक्रमण जहां से हटाया था वहीं फिर आकर जम जाता है। कभी राजनीतिक दबाव तो कभी इच्छाशक्ति की कमी के कारण कस्बे में अतिक्रमण हटाने की मुहिम सफल नहीं हो पाती अतिक्रमण की समस्या से यातायात भी बाधित होता है। आमजन को बाजार में रेंगकर वाहन गुजारना पड़ते हैं। जनप्रतिनिधि और अधिकारी जनता को विश्वास में लेकर अतिक्रमण हटाने का काम बखूबी कर सकते हैं लेकिन इक्का-दुक्का कार्रवाई के बाद इस मामले में कोई गंभीरता नहीं दिखाता।

अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान कई बार व्यापारी भी अतिक्रमणकारियों के समर्थन में खड़े नजर आते हैं कस्बे में कई सड़कें सभी को चौड़ा तो नहीं किया जा सकता पर जरूरत है इन पर से अतिक्रमण हटाने की और साथ ही पार्किंग की व्यवस्था हो जिससे कस्बे की सुंदरता पर से यह अवैध कब्जे दाग हट सके।

कस्बे के अतिक्रमण व जाम कही किसी मुसीबत का कारण न बन जाये यही नही जले पर नमक का काम ई-रिक्शा भी कर रहे इतने बेतर्किब तरीके से आड़े तिरछे खड़े कर देते जिससे निकलना मुश्किल हो जाता है और पर जैसे इन्ही की हुकूमत चल रही ही इनको किसी का डर भय नही है।


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By nit

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