नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
23 नवंबर को नतीजे आने के बाद पूरा सप्ताह बीत गया लेकिन महाराष्ट्र को नया मुख्यमंत्री नहीं मिला। देवेन्द्र फडणवीस के लिए उनके वफादारों ने दिल्ली में मोर्चा खोल रखा है। सारा का सारा तंत्र चाहता है कि देवेन्द्र फडणवीस को हि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया जाए। रिटायर्ड होने के बावजूद भी महाराष्ट्र के पुलिस महासंचालक पद पर रश्मी शुक्ला को दो साल तक सेवा विस्तार देने के सरकार के निर्णय ने महायुति में अस्थिरता पैदा कर दी है। 2014-2019 के बीच देवेन्द्र फडणवीस और उनके दो साथियों ने प्रदेश की बागडोर कैसे संभाली थी उससे नरेन्द्र मोदी-अमित शाह भलीभाती परिचित हैं। फडणवीस की नाव मझधार मे है इसी मे सवार उनके नजदीकी साथी मंत्री पद पर दावा करने से बच रहे हैं।
कुछ हुनरबाज नेता ऐसे भी हैं जो फडणवीस के CM बनने के बाद हि मंत्री बन सकते हैं। जब कि मंत्री पद पर रहते हुए अपने गृह जिले के विकास को लेकर यह नेता बिलकुल नाकारा साबित हो चुके हैं। राज्य में मराठा कुनबी समुदाय के सामाजिक आरक्षण का मसला बेहद गंभीर है। वर्तमान सदन में बीजेपी के 132 विधायकों में 50 मराठा कुनबी समुदाय से है। 288 में 120 विधायक मराठा समुदाय से हैं। बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को आने वाले दिनों में पार्टी के भीतर घात का भय सता रहा है। विनोद तावड़े, नारायण राणे, रावसाहेब दानवे, हरीभाऊ बागड़े को छोड़कर बीजेपी के पास CM के लिए कोई प्रभावी मराठा चेहरा नही है। 2025 में दिल्ली बिहार विधानसभा के आम चुनाव होने हैं। महाराष्ट्र को लेकर बीजेपी हाय कमान की ओर से राजस्थान और मध्य प्रदेश की तरह अटपटा निर्णय लिया जा सकता है।
लोकल बोर्ड में उलटफेर: 22 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओबीसी के राजकीय आरक्षण पर फैसला आना है। समूचे महाराष्ट्र में स्थानीय स्वराज संस्थाओं के आम चुनाव होंगे जो बीजेपी का भविष्य और विपक्ष का अस्तित्व तय करेंगे। प्रदेश का होने वाला मुख्यमंत्री मराठा या गैर मराठा बनेगा इस पर काफी कुछ निर्भर है।
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