इम्तियाज़ चिश्ती, ब्यूरो चीफ, दमोह (मप्र), NIT:
दमोह में फिर अगर कोई आगज़नी की घटना होती है तो जिले भर में कोई भी प्रशिक्षित फायरमैन नहीं है और ना ही आग बुझाने में इस्तेमाल होने वाले फायरमैन की कंप्लीट ऐसेंसीरीज और ना ही यूनिफॉर्म जब भी कोई अचानक घटना घटनी है तो नगरपालिका अपने अप्रशिक्षित बिना डिप्लोमाधारी नपा के अनुभव के आधार पर लगे कर्मचारियों की जान जोखिम में डालकर शहर में लगी आग बुझाने भेज देते हैं ठीक उससे भी ज्यादा लापरवाही दमोह जिला अस्पताल में देखने मिली।
यहाँ जिला अस्पताल के जिम्मेदार सिविल सर्जन डॉ राकेश राय का बयान तो और भी हैरत में डालने वाला की जिला अस्पताल के स्टॉफ के सभी लोग ट्रेंड है यहाँ के डॉ, नर्स वार्ड बॉय सभी आग बुझा लेते हैं लेकिन उनसे प्रशिक्षित फायरमैन के बारे में जानकारी चाही गई तो वह भी इस बात से अंजान नज़र आये जबकि प्रदेश सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दिल्ली अस्पताल में हुई आगजनी की घटना के बाद ही बीते कई माह पूर्व सारे प्रदेश के जिला अधिकारियों को आदेश जारी किये थे की प्रदेश के हर जिला स्तर की अस्पतालों और नगरपालिकाओं में प्रशिक्षित फायरमैन और कंप्लीट फायर सिस्टम के साथ फायर ऐसेंसीरीज सहित रखे जाएं लेकिन उस दिन से आज दिनाँक तक दमोह नगरपालिका और जिला अस्पताल में ना तो कोई फायरमैन नियुक्त हुए और ना इस ओर किसी ने ध्यान दिया।
जबकि बीते दिनों उत्तरप्रदेश के झाँसी जिले की मेडिकल अस्पताल के बच्चा वार्ड में गंभीर आगजनी की घटना में दस मासूम बच्चों की मौत के बाद प्रदेश की एक मात्र अकेला दमोह जिला अस्पताल ही है जिसने आज भी सबक नहीं लिया यूपी के झाँसी अग्निकांड से जबकि प्रदेश सरकार ने दमोह जिला अस्पताल में सारी स्वास्थ्य विवस्थायें उपलब्ध कराई हैं जैसे ऑक्सीजन प्लांट, प्रदेश स्तर की सर्व सुविधाओं युक्त बच्चा वार्ड एवं महिलाओं की डिलिवरी के साथ-साथ सरकार ने अस्पताल में आगजनी की घटनाओं को रोकने फायर सिस्टम लगाने के निर्देश के साथ साथ बजट भी दिया लेकिन जिला अस्पताल के जिम्मेदार सिविल सर्जन आज भी फायर सिस्टम के लिए बजट का रोना रो रहे हैं।
इतनी सुविधाओं के बाद भी सिविल सर्जन और मुख्य चिकित्सा एवं स्वस्थ अधिकारी ने प्रदेश सरकार की विवस्थाओं को नकारते हुए एवं मानव जीवन को भी संकट में डालते हुए गैरजिम्मेदाराना बेतुका बयाँन दिया कि हमारी जिला अस्पताल में सभी लोग आग बुझा लेते हैं यह भी कहा कि जब सब लोग अपने घरों की आग बुझा लेते हैं तो यहाँ क्यों नहीं बुझा सकते इस तरह की तैयारियां हैं जिला अस्पताल में जहां महिला डिलेवरी वार्ड और मासूम बच्चों का चाईल्ड वार्ड जहाँ ना जाने कितनी जिंदगियां साँस ले रही है उस जिला अस्पताल में ईश्वर ना करे अगर कोई बड़ा हादसा होता है तो क्या यहाँ आग बुझाने और फायर सिस्टम चलाने की जिम्मेदारी यहाँ का नर्स स्टाफ डॉ और वार्ड बॉय जिम्मेदारी निभा पायेगा यह भी एक सवाल है।
दमोह नगरपालिका में भी नहीं प्रशिक्षित फायरमैन
दमोह नगरपालिका की बात करें तो यहाँ अभी भी सब सिर्फ और सिर्फ अनुभव के बल पर ही कार्य चल रहा है जबकी दमोह में बीते साल पटाका फैक्ट्री में बहुत बड़ी घटना घट चुकी जिसमें लगभग 7 से 8 लोगों की जानें चली गई थी उस वक़्त भी नपा के यही अप्रशिक्षित कर्मचारियों और फायर वाहन चालकों के भरोसे ही आग जनी की घटनाओं से बचाने का प्रयास होता रहा है वही स्तिथि आज भी बनी हुई है।
नगरपालिका के नए सीएमओं से जब इस संबंध में मुख्य नगरपालिका अधिकारी के अनुसार लोकल दमोह में तो है नही कोई एजेंसी सरकार की एजेंसी सेडमैप से डिमाण्ड की है अप्रूवल हो जाये तो दमोह नगरपालिका में कर्मचारी आ जायेगें फिलहाल सीएमओं नगरपालिका दमोह ने पी आई सी में बात रखी है उन्हें फाइनल करना है जब भी मंजूरी मिल जाये उसका इंतज़ार है और शासन से रिक्वेस्ट भी की गई स्टाप के लिए स्टाप की कमी है।
इनका कहना: पहले हमने लोकल स्तहर पर प्रयास किया तो यहां कोई भी कर्मचारी नहीं है फिर सरकार की एजेंसी सैडमेप से डिमांड की सैडमेप को हमनें लेटर लिख दिया सैडमेप नें अपना बिल पहुंचा दिया है जिसे पीआईसी में भेजा गया है पीआईसी से अप्रूवल के बाद उनकों वर्क ऑडर जारी कर देंगे।
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