नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

केंद्रीय जलमंत्री सी आर पाटिल की ओर से नार-पार नदी जोड़ प्रोजेक्ट को खारीज किए जाने के बाद इस प्रोजेक्ट का अब कोई भविष्य बचा नहीं है। देवेंद्र फडणवीस ने बजट सत्र में इस प्रोजेक्ट को फ्रेम किया उसके बाद गिरीश महाजन ने राज्यपाल से मंजूरी लेने की औपचारिकता पूरी करी। न्यूज चैनल अखबार पोर्टल सोशल मीडिया में नार-पार योजना की मान्यता का नेरेटिव सेट करने के लिए खबरों की बाढ़ लाई गई। जलगांव सीट से पूर्व सांसद उन्मेष पाटील ने आंदोलन शुरू किया तब नार-पार पर सरकार के चुनावी व्यवहार का सच कुछ हद तक लोगों के सामने आया। सरकार ने कहा है कि नार-पार का टेंडर जल्द हि जारी किया जाएगा।

टेंडर जारी करने से पहले सरकार को यह बताना चाहिए कि इस प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार के तमाम मंत्रालयों, संवैधानिक प्राधिकरण संस्थानों की मंजूरी प्राप्त है या नही इस बात का खुलासा होना ज़रूरी है। अन्यथा डीपीआर में करोड़ों रुपए खर्च कर होते रहेंगे और नेताओ के समर्थक NGOs की जेब भरती रहेगी। प्रोजेक्ट की प्रारंभिक लागत 7 हजार करोड़ तय करी गई है। नार पार का हश्र जामनेर वाघुर लिफ्ट इरिगेशन प्लान जैसा हो सकता है, लिफ्ट योजना को केंद्र ने 2011 में मंजूर किया जो आज तक पूरा नहीं हो सकी है।

नार-पार के लिए पहाड़ काटकर 15 किमी सुरंग बनाकर चनकापुर डैम में पानी लिफ्ट किया जाना है। आम तौर पर ऐसे जटिल प्रोजेक्ट नेताओ अधिकारियो की प्रॉपर्टी मे इज़ाफा करने के लिए डिजाइन किए जाते है। जलगांव वाघुर सिंचाई, तापी सिंचाई में सैकड़ों अधिकारी है जो भ्रष्टाचार से अर्जित 50/100/200/500 करोड़ रुपए तक की प्रॉपर्टी के मालिक है। नार-पार को केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी मिलने पर शायद वो आज से 10/20 सालों बाद पूरी होगी।
अधूरा ब्रिज जान का खतरा : बुलडाना जिले के मलकापुर में नलगंगा नदी पर एक ब्रिज बन रहा है जो पुराने शहर को बोदवड सड़क से जोड़ने वाला है। इस ब्रिज का काम बीते तीन महीने से बंद पड़ा है, आम लोगों को जान खतरे में डालकर नदी को पार करना पड़ रहा है। इस ब्रिज के गर्डर को जल्द आपस में जोड़कर सुरक्षित यातायात मुहैया कराने की मांग की जा रही है।
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