सिंचाई दवाई के मुद्दे पर एक आदमी को कितनी बार चुनकर देंगे? प्रत्याशियों को घोषित करना चाहिए अपना मेनिफेस्टो | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

सिंचाई दवाई के मुद्दे पर एक आदमी को कितनी बार चुनकर देंगे? प्रत्याशियों को घोषित करना चाहिए अपना मेनिफेस्टो | New India Times

संख्या बल के जोर पर संसदीय व्यवस्था के मार्फत लोकतांत्रिक देश में एकाधिकार शासन कैसे चलाया जाता है इसे भारत ने दुनिया को दिखा दिया है। 18 वीं लोकसभा के लिए सात चरणों में वोटिंग जारी है।

सिंचाई दवाई के मुद्दे पर एक आदमी को कितनी बार चुनकर देंगे? प्रत्याशियों को घोषित करना चाहिए अपना मेनिफेस्टो | New India Times

सत्तापक्ष भाजपा ने कुछ दिनों पहले संकल्प पत्र प्रकाशित किया, इस पत्र में दस साल का हिसाब दिए बिना 2047 में विकसित भारत की गारंटी पर फोकस किया गया है। कांग्रेस के न्याय पत्र की चर्चा स्मार्ट फोन यूजर्स तक सीमित है। राष्ट्रीय पार्टियों के मेनिफेस्टोस के सहारे उनके प्रत्याशी अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में वोट मांगते हैं। राष्ट्र निर्माण, विकास और सामाजिक न्याय के संकल्पों के बोध से जनता तय करती है कि वोट किसे देना है। राज्य विधानसभा के चुनावों में राजनीतिक दलों का यही पैटर्न होता है लेकिन इस पैटर्न के कारण चुने गए सांसद, विधायकों द्वारा निर्वाचन क्षेत्र के समस्याओं के साथ धोखाधड़ी की जाती है।

सिंचाई दवाई के मुद्दे पर एक आदमी को कितनी बार चुनकर देंगे? प्रत्याशियों को घोषित करना चाहिए अपना मेनिफेस्टो | New India Times

पश्चिम महाराष्ट्र और कोकण में रोजगार से जुड़े तथ्य साक्षात सत्य हैं, ये इलाके महाराष्ट्र में सबसे विकसित हैं। मराठवाड़ा, विदर्भ और उत्तर महाराष्ट्र के जलगांव, नंदूरबार जिले के सर्वव्यापी विकास का अनुशेष गैप काफ़ी बड़ा है। 310 ब्लॉक्स में 160 ऐसे हैं जहां एक ही नेता की राजनीति तीन तीन दशकों से सिंचाई-दवाई की सुविधा खड़ी करने में बीत गई। छोटे छोटे तालाब बनाकर खेती के लिए सिंचाई का पानी रोकने के छिटपुट प्रयासों के सहारे नेता से लोकनेता बनाए गए चंदाछाप हजारों करोड़ की संपत्ति के मालिक बने बैठे हैं‌। जनता चाहती है कि जिस प्रकार से राजनीतिक दल राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर विकास के अपने एजेंडे को घोषित करते हैं ठीक उसी प्रकार से इन पार्टियों के प्रत्याशी निश्चित समय सीमा के भीतर स्थानीय मुद्दों के समाधान का उत्तरदायित्व स्वीकार करें‌। सांसद, विधायक को मिलने वाले फंड के अलावा सरकार की सैकड़ों योजनाएं और वित्त मंत्रालय के पे कमीशन है जिससे शिक्षा, चिकित्सा, सिंचाई,  रोजगार के निर्माण के लिए करोड़ों रुपए सहजता से मंजूर करवाए जा सकते हैं‌। धन और धर्म की राजनीति के प्रभाव से बाहर आकर प्रत्येक मतदाता को अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए 2047 के जुमले के बजाये अपने चुने हुए सांसद/विधायको से समयबद्ध गतिमान विकास की मांग करनी चाहिए।


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