नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

कल आधी रात करीब एक बजे जामनेर राजस्व विभाग की ओर से ताबड़तोड़ तरीके से बालू के तीन ट्रक कब्जे में लिए गए। टाकली, मोहाडी, रोटवद इन गांवों के क्षेत्र से इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। तहसीलदार नानासाहब आगले के आदेश पर पटवारियों की टीम ने दबिश दी। इस मामले में महाराष्ट्र भूमी राजस्व कानून 1966 की धारा 48 (7)(8) के तहत कार्रवाई की बात कही गई। अचानक की गई यह कार्रवाई खबरों तक सीमित रहेगी या आगे भी जारी रहेगी इसका जवाब तो प्रशासन की ओर से चुनावी आचार संहिता में बरती जाने वाली पावरफुल या पावरलेस सख्ती से हि पता चलेगा। वैसे 400 पार के विरुद्ध हर सीट पर 300+ उम्मीदवार का महाराष्ट्र में चल पड़ने वाला संभावित ट्रेंड प्रशासन के गिरते हुए आत्मविश्वास को बढ़ाने में फायदेमंद साबित हो सकता है। इस विषय पर हम विस्तार से रिपोर्ट करेंगे। बालू और गौण खनिज का कार्पोरेट सीधे राजनीति के संरक्षण में काम करता है। रोजगार पैदा करने के प्रयासों में नाकारा साबित हो चुके नेता प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर अवैध धंधों के सहारे मैन, मसल और मनी पॉवर अर्जित करते हैं। विधायक एकनाथ खडसे ने लंबित बालू निति के विषय में विधानसभा में सरकार से दर्जनों सवाल पूछे। शिंदे-फडणवीस सरकार ने नरेन्द्र मोदी जी की तरह सदन में मौन धारण कर लिया। संसदीय लोकतंत्र में जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों की ओर से आत्मसाद किया गया यह मौनी इल्म नेता और उसके अतिवादी भक्तों के लिए शक्ति और भक्ति का वरदान साबित हो रहा है।
