बुढ़ापे में छीछोरापन करना पड़ा महंगा, महिला को आंख मारने के आरोप में कोर्ट ने दोषी को सुनाई एक साल कैद की सज़ा व एक हज़ार रुपए का जुर्माना | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

बुढ़ापे में छीछोरापन करना पड़ा महंगा, महिला को आंख मारने के आरोप में कोर्ट ने दोषी को सुनाई एक साल कैद की सज़ा व एक हज़ार रुपए का जुर्माना | New India Times

बुड्ढा होगा तेरा बाप, इश्किया, डेढ़ इश्किया, चीनी कम, शौकीन, निशब्द यह उन कुछ हिंदी फ़िल्मों के नाम है जिनको बॉलीवुड के हालिया दशक में इंसानी जिंदगी के आखरी पड़ाव यानी बुढ़ापे पर फिल्माया गया है। इन सारी फिल्मों में बुजुर्गों के रंगीन मिजाज़ को परदे पर उतारा गया है। रील और रियल लाइफ का फर्क अब साफ़ साफ़ पटता नज़र आ रहा है वो इस लिए की कोर्ट ने एक 80 साल के बुजूर्ग को महिला से छेड़खानी करने के आरोप में दोषी करार देते हुए कठोर कारावास की सज़ा सुनाई है। मामला जलगांव जिले के जामनेर तहसील के पहुर पेठ का है, यहां पीड़ित महिला का पड़ोसी हरी लोटू वाढे (उम्र 80) ने महिला अपने घर के दरवाजे पे खड़ी थी तब उसे देख कर आंख मारी और अश्लील हरकते की। एंग्री यंग मैन यही नहीं रुके उन्होंने महीला के खिलाफ़ एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करने की धमकी दी। इसी के चलते पीड़ित महिला ने पुलीस थाने पहुंचकर हरी वाढे के खिलाफ़ शिकायत दर्ज कराई। इस मुकदमे में सरकार पक्ष की ओर से सरकारी वकील अनील सारस्वत ने कुल 5 गवाहों की साक्ष्य को प्रमाणित किया। शिकायत कर्ता पीड़ित महिला की गवाही को तरजीह देते हुए न्या बी एम काले ने हरी वाढे को अभियुक्त करार देते हुए एक साल सख्त कारावास और एक हजार रुपए जुर्माने की सज़ा सुनाई। मारपीट के एक दूसरे मामले में न्या डी एन चामले की कोर्ट ने दोषियों के खिलाफ़ जुर्माने की सज़ा मुकर्रर की है। इस विषय का ख़बर विस्तार यह है कि रामपुर तांडा निवासी संदीप वसंता चव्हाण, सुमन वसंता चव्हाण इन दोनों मां बेटे ने काशीनाथ महारु राठोड़ को यह कहकर फरसे और लाठी से बड़ी बेरहमी से पीटा की काशिनाथ ने खुली जमीन पर अपने मवेशियों को चारा क्यों? चरवाया। पीड़ित ने आरोपी मां बेटे के खिलाफ़ जामनेर पुलीस में रपट लिखवाई। सरकार पक्ष की ओर से सहायक सरकारी वकील कृतिका भट ने कुल 6 गवाहों को क्रॉस एक्समाइन किया। इस केस में कोर्ट ने शिकायत कर्ता काशिनाथ राठोड़ और मेडीकल ऑफीसर डॉ किशोर पाटील की गवाही को अहम माना। न्या डी एन चामले ने अपने फ़ैसले में यह लिखते हुए आदेश दिया कि दोनों दोषी अपने सभ्य बर्ताव तथा व्यवहार की एक साल की गारंटी देता 15000 रुपए का बॉन्ड प्रस्तुत करें और पीड़ित काशीनाथ को हर्जाने के तौर पर तीन -तीन हज़ार रुपए प्रदान करें। ज्ञात हो कि इस मुकदमे के दौरान दोषी पाए गए दोनों अभियुक्तों में से एक की मौत हो चुकी है। उक्त मुकदमों के न्यायालयीन कामकाज में पैरवी अधिकारी मनोज बाविस्कर, चंद्रकांत बोदड़े, केसवाच अविनाश पाटील, निलेश सोनार, सुशील सत्रे ने निष्ठा पूर्वक कर्तव्य परायणता का परिचय दिया।

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