वही चिराग़ बुझा जिसकी लौ क़यामत थी, शाही जामा मस्जिद बुरहानपुर के मुतवल्ली हज़रत सैयद तिलत तमजीद उर्फ़ बाबा मियां भी हुए अल्लाह को प्यारे | New India Times

मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

वही चिराग़ बुझा जिसकी लौ क़यामत थी, शाही जामा मस्जिद बुरहानपुर के मुतवल्ली हज़रत सैयद तिलत तमजीद उर्फ़ बाबा मियां भी हुए अल्लाह को प्यारे | New India Times

शुक्रवार का दिन बुरहानपुर वासियों के लिए बुरी खबर लेकर आया। शहर की सरकरदा समाजी मज़हबी शख्सियत शाही जामा मस्जिद बुरहानपुर के मुतवल्ली और शाही जामा मस्जिद बुरहानपुर के पेश इमाम हज़रत सैयद इकराम अल्लाह बुखारी के बड़े भाई, बुरहानपुर के युवा, उभरते धार्मिक विद्वान हज़रत त सैयद अनवार अल्लाह बुखारी के बड़े पिताजी हज़रत सैयद तिलत तमजीद बाबा मियां भी शुक्रवार को दोपहर लगभग 3:00 बजे अपने मालिके हकीकी से जा मिले। हालांकि शाही जामा मस्जिद बुरहानपुर के पेश इमाम हज़रत सैयद इकराम अल्लाह बुखारी साहब ने नमाजे जुम्मा में एलान करते हुए मुसल्लीन हज़रात (नमाजियों) से उनके हक़ में दुआओं की दरखास्त की थी। लेकिन नमाज़ के बाद इकराम उल्लाह बुखारी साहब के घर पहुंचने के बाद दुखद समाचार मिला। शहर में यह खबर आग की तरह फैल गई। सोशल मीडिया के ज़रिए इस खबर के वायरल होते ही बुरहानपुर वासियों सहित उनके चाहने वालों में मातम छा गया। पुरानी कहावत है कि जिस पर गुज़रती है, उसका ही दिल जानता है। बुखारी खानदान में चंद दिनों में यह दूसरा बड़ा हादसा है। हजरत सैयद तिलत तमजीद बाबा मियां की शख्सियत भी बहु आयामी थी। उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी आवाम सहित मिल्लत की खिदमत और फलाहो बेहबुद के लिए वक्फ कर दी थी। वे अनेक सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक संगठनों से जीवंत रूप से जुड़े हुए थे। हाजियों की खिदमत की कदीमी तंजीम अंजुमन खुद्दामुल हुज्जाज, ऑल इंडिया हज वेलफेयर सोसाइटी, बशारत अली ट्रस्ट, चंद्रकला एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी सहित अनगिनत संस्थान/संगठन उनकी सरपरस्ती और रहनुमाई  में अपनी सरगर्मियां संचालित करते थे। इस प्रतिनिधि ने दिल्ली के शाही जामा मस्जिद के इमाम का मुशाहिदा किया है, जो बड़ी मुश्किल से उपलब्ध होते थे, लेकिन बाबा मियां की शख्सियत के बारे में, दावे के साथ  यह कहा जा सकता है कि वह 24 घंटे उपलब्ध रहने वाले सरकरदा सामाजिक शख्सियत थे और मिल्लत के हर काम में सफेअव्वल में खड़े रहते थे। उनका जनाज़ा रात 11:00 बजे उनके पैतृक निवास दाऊद पुरा, मंडी पावर हाउस के पीछे से उठाया गया और हिंदुस्तानी मस्जिद के रास्ते से मंडी बाजार इकबाल चौक प्रकाश टॉकीज गांधी चौक होते हुए शाही जामा मस्जिद ले जाया गया। कहा जा सकता है कि जनाजे में शहर के हर धर्म और संप्रदाय आधे से ज्यादा लोग मौजूद थे। जिला प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था की पुख्ता इंतेज़ामात किए थे। शाही जामा मस्जिद बुरहानपुर में जनाजे की नमाज़ मरहूम के छोटे भाई और शाही जामा मस्जिद बुरहानपुर के पेश इमाम हज़रत सैयद इकराम अल्लाह बुखारी ने अदा फरमाई।शाही जामा मस्जिद बुरहानपुर के खादिम होने की हैसियत से और कदीमी रिवायत के मुताबिक उन्हें शाही जामा मस्जिद बुरहानपुर में हजारों सोमवारों की मौजूदगी में पुरनम आंखों से सुपुर्दे ख़ाक किया गया। यह एक सहयोग ही था की अक्कलकुवा की आध्यात्मिक शख्सियत शैखुल हदीस शेर मोहम्मद मकरानी साहब, जो इस क्षेत्र के आसपास के दौरे पर थे, उन्होंने इस दुखद समाचार सुनने के बाद अपना दौरा कार्यक्रम स्थगित करके बुरहानपुर की ओर प्रस्थान किया और हज़रत सैय्यद इकराम उल्लाह बुखारी सा के निवास पर पहुंचकर तआज़ीयत पेश करने के साथ जनाजे में शरीक हुए। आसमां तेरी लहद पर शबनम अफ़शानी करें। अल्लाह करीम मरहूम की बख्शीश और मगफिरत फरमाए। मरहूम को जन्नतुल फिरदौस में अल्लाह से अल्लाह मक़ाम अता फरमाए। जुमला अहले खाना को सबरे जमील अता फरमाए। आमीन सुम्मा आमीन।


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