मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
बुरहानपुर में युवा सामाजिक कार्यकर्ता हाजी अब्दुल बासित की निगरानी में मदरसा असहाबे सुफ्फा संचालित हो रहा है। यह संस्था 15 अगस्त और 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व पर अपने प्रोगाम आयोजित करके राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस संस्था का एकमात्र उद्देश्य मुस्लिम समाज जनों के कर्णधारों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना और राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ना है। संस्था ने अल्प समय में ही अच्छी उपलब्धियां हासिल की है। संस्था के संचालक हाजी अब्दुल बासित ने बताया कि मदरसा असहाबे सुफ्फा में मोहम्मद अयान मोहम्मद आलम अंसारी, निवासी खानक़ा वार्ड बुरहानपुर को उसके पिता द्वारा धार्मिक शिक्षा (दीनी तालीम) हासिल करने के लिए इस संस्थान में दाखिल कराया गया था, जहां उसने मुकद्दस कुरआने पाक मुकम्मल किया था। संस्था की यह इच्छा थी कि यह बच्चा हाफ़िज़ ए कुरआन बने और इसके लिए जब उसके पिता (जो हमारी संस्था में कोषाध्यक्ष के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं) से बात की गई तो उन्होंने अपनी सहमति दी, जिसके बाद महाराष्ट्र की सर ज़मीन, शेगांव में स्थित मदरसा हज़रत गौसे आज़म दस्तगीर रहमतुल्लाह में उसका दाखिला करवाया गया। वहां इस होनहार बालक ने मात्र 18 महीने में हिफ्ज़ ए कुरान (पवित्र कुरआन को ज़बानी कंठस्थ करना) मुकम्मल करके संस्था और शहर का नाम रौशन किया है। इस उपलब्धि पर हमारी सोसाइटी की तरफ से सभी उस्ताद का इस्तक़बाल किया और उनका आभार व्यक्त किया। हाजी बासित ने बताया कि संस्था ने बच्चे की रुचि के मद्दे नज़र उसे प्रमोट किया है। शेगांव का सारा खर्च उसके पिता ने वहन किया है।
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