सिंहस्थ 2015-2016, अहिल्या-गोदावरी के अविरत संगम प्रवाहों को प्रशासन ने संकरे निर्माण में ढाला, दोनों तटों पर उग आया है पेड़ पौधे, गोरखनाथ मठ के साथ घोर अन्याय | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

सिंहस्थ कुंभ 2015-2016 में त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर परिसर के बुनियादी आधुनिक विकास के लिए सरकारी खजाने से पानी की तरह बहाया गया सैकड़ों करोड़ रूपया भ्रष्टाचार के समुंदर में समा गया है। जो नेतागण इसके लिए ज़िम्मेदार हैं वो नरेन्द्र मोदी जी के अमृत काल में पाप मुक्त हो कर सत्ता के घमंड में राजनीतिक अमरत्व विलास में मग्न है। New India Time’s ने जनवरी 2024 में पंचवटी की कथित विकास रिपोर्ट प्रकाशित की थी। आज हम आपको त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर परिसर में सिंहस्थ कुंभ 2015-2016 में कराए गए विकास (आभास) के समीप ले जाएंगे।

त्र्यंबक प्रभु विराजित स्थान के ठीक पीछे अहिल्या और गोदावरी नदियों के संगम प्रवाह को पत्थर से बनी संकरी दीवारों के तट में ढाला गया है जिसे आप फोटो में देख सकते हैं। नीचे उतरने के लिए घाट जैसी सीढ़ियां बनाई गई है, तटों और सीढ़ियों के ऊपर बड़े बड़े पेड़ पौधे उग आए हैं। संगम के धारा प्रवाह में फैली हुई अपार गंदगी को साफ करने के लिए नगर परिषद की व्यवस्था बेहद कमज़ोर मालूम पड़ती है। गोरख नाथ मठ के साथ बड़ा सौतेला व्यवहार किया गया है, मठ में एक भी विकास का काम नहीं कराया गया है। सावित्री देवी मंदिर के अगल बगल के छोटे छोटे मंदिरों को रिपेयर कराया जा रहा है। पड़ोस के एक तालाब में सैलानियों को नौका विहार कराया जाता है इस तालाब की दीवार टूट चुकी है। सुरक्षा के लिए त्र्यंबक महाराज के मंदिर की दीवारों को कटीले तारों से बुन दिया गया है, भीतर का रखरखाव और प्रबंधन ठीक है।

ऋण मुक्तेश्वर मंदिर के गुंबद पर घास-पौधों ने जीवन पा लिया है। कुशावर्त के जल भंडार को स्वच्छ रखने के लिए महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के फंड से बना पंपिंग हाउस बेकार हो चूका है इसे कुंभ में बनाया गया था। प्राचीन जीवित बावड़ियां पुन: जीवित करने के बजाय कूड़ेदान के लिए इस्तेमाल की जा रही है। शहर में सरकारी बस स्टैंड तक नहीं है, पास में टेकडी पर बसा अन्नपूर्णा देवी मंदिर टेकडी को धंसने से बचाने के लिए ज़रूरी दीवार और पिचिंग के अभाव से खतरे में है। घटिया सामग्री से बनाई गई सीमेंट कांक्रीट की सड़कें उखड़ गई है।

सिंहस्थ कुंभ 2015-2016 के लिए मंजूर 800 करोड़ के निधी से निर्मित सेवा फलकों को दीवारों से गायब किया जा चुका है। अगली रिपोर्ट में हम आपको साधुओं के अखाड़ों के लिए किए गए लाज़वाब विकास की जानकारी और कुंभ की कुछ स्मृतियों से रूबरू करवाएंगे।


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