गुलशन परूथी, ब्यूरो चीफ, दतिया (मप्र), NIT:
पुलिस लाइंस ग्राउंड दतिया में पुलिस कर्मचारियों का इंडक्शन प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रदीप शर्मा पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में संचालित हो रहा है। उक्त प्रशिक्षण में आज योग- विशेषज्ञ के रूप में डॉक्टर अनिल कुमार दुबे, “योगभूषण” जिला योग प्रभारी, दतिया अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। आपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पुलिस कर्मचारी राज्य के भीतर, कानून और व्यवस्था के संरक्षक हैं। आपराधिक मामलों की जटिल प्रकृति और अपराधों की बढ़ती संख्या, पुलिस अपराधियों एवं कर्मियों के लिए कठिनाइयां एवं चुनौती पैदा करती हैं। पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अपनी ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए विशेष कौशल और क्षमताओं की आवश्यकता होती है, बहुत अधिक तनावपूर्ण माहौल में लंबे समय तक काम करना, अत्यधिक काम का बोझ उनकी दैनिक दिनचर्या में शामिल है। जिसका प्रतिकूल प्रभाव उनके शारीरिक, भावनात्मक, बौद्धिक, मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों में पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी, योग क्रियाओं और ध्यान को, अपने जीवन का अंग बनाते हैं, तो वह स्वास्थ्य एवं निरोगी, शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मिक रूप से स्थाई शांति प्राप्त कर सकते हैं। डॉ दुबे द्वारा अपने उद्बोधन के साथ, चर्चा करते हुए पुलिस प्रशिक्षणर्थियों की समस्याओं एवं जिज्ञासाओं को शांत किया और विभिन्न प्रकार के प्रारंभिक योगाभ्यास जैसे शिथिलीकरण की क्रियाएं, ताड़ासन, चक्रासन, ध्यान की प्रारंभिक अवस्था का अभ्यास कराया। इसके पश्चात मोटापा, घुटनों के दर्द की समस्या, श्वास रोग, ब्लड प्रेशर, कब्जियत, एसिडिटी, अनुशासन एवं आत्म नियंत्रण, छोटी- छोटी साइकोसोमेटिक समस्याओं के निदान के लिए साधारण योगिक क्रियाएं बताई गई और स्वस्थ जीवन जीने के लिए, टिप्स बताए गए। कहा योग शाश्वत है, अनादि है, समग्र जीवन पद्धति है, योग जीवन जीना सिखाती है। अब योग एक वैश्विक आंदोलन बन गया है। योग पूरे संसार को परिवार के रूप में समाहित करता है। आज़ादी के अमृत काल में, योग के माध्यम से ही, एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को, विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने में सक्षम रहा है। इस अवसर पर 40 पुलिस कर्मचारी, वरिष्ठ अधिकारी एवं प्रशिक्षण प्रभारी अनिल किराडे आदि उपस्थित रहे।
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