अखिल भारतीय कवी सम्मेलन कड़कडाती ठंड में देर रात्रि तक चलता रहा जमे रहे काव्य प्रेमी | New India Times

रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

अखिल भारतीय कवी सम्मेलन कड़कडाती ठंड में देर रात्रि तक चलता रहा जमे रहे काव्य प्रेमी | New India Times

नगर परिषद पेटलावद द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में हर रस की वर्षा हुई। ठंड अधिक होने के बावजूद भी देर रात 3 बजे तक कवि सम्मेलन चलता रहा।
कवि सम्मेलन में कवियों ने वीर रस, श्रंगार रस, हास्य रस की वर्षा की। कवि सम्मेलन के शुभारंभ में अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और द्वीप प्रज्वलीत कर कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया गया।
इस मौके पर कवियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

नागरिक अभिनंदन हुआ

इस अवसर पर पत्रकार संघ के द्वारा देश के वीर रस के ओजस्वी स्वर अशोक चारण का नागरिक अभिनंदन किया। पत्रकार हरिश राठौड और प्रकाश पडियार के द्वारा शाल श्रीफल भेंट कर अभिनंदन पत्र देकर चारण का अभिनंदन किया गया। अम्रिंदन पत्र का वाचन पत्रकार मनोज पुरोहित द्वारा किया गया। इस मौके पर पत्रकार उपस्थित रहे। नगर परिषद अध्यक्ष ललीता योगेश गामड, उपाध्यक्ष किरण संजय कहार, जनपद अध्यक्ष रमेश सोलंकी, सीएमओ आशा भंडारी सहित पार्षदगणों ने कवियों का स्वागत व सम्मान किया।


कवि सम्मेलन की शुरूआत में मां सरस्वती की वंदना कवियत्री एकता आर्य ने की। जिसके बाद हास्य व्यंग के ठहाकों से कमलेश दवे ने श्रोताओं को गुदगुदाया।

क्या याद मेरी आती नहीं बाबू जी

भोपाल के गीतकार संजय सिंह बाबूजी ने अपने मार्मिक गीतों से श्रोताओं का मन जीत लिया। उन्होंने एक पिता और बेटी के बीच की बातचीत को अपने फेमस गीत के माध्यम से रखा। जिस पर प्रांगण में बैठा हर श्रोता का मन भाव विभोर हो गया। क्या याद मेरी आती नहीं बाबूजी गीत के हर बंध में श्रोताओं की तालियां मिली।

हास्य का मास्टर ब्लास्टर

कवि सम्मेलन को आगे बढाते हुए मंच पर हास्य का मास्टर ब्लास्टर मुन्ना बेट्री ने कविता पाठ प्रारंभ किया तो पुरे पांडाल में तालियों की गड़गड़ाहट और हंसी के ठहाके लगाए। हर कोई अपनी हंसी को रोक नहीं पाया। उन्होंने हास्य व्यंग की कई कविताओं के माध्यम से हंसाया जिसमें फुफाजी के किस्से हो या स्कूल के दिनों का मातृ दिवस हो हर तरह की बात को नये अंदाज में रख कर सभी को भरपूर आनंद दिया।

मजबूरियों का नाम हमने शौक रख दिया

श्रंगार और मोटिवेशन कवि स्वयं श्रीवास्तव ने भी अपने गीतों के माध्यम से संदेश देने के साथ साथ श्रंगार की भी बात कर श्रोताओं के दिलों में जगह बना ली। उनके गीत

‘‘फिर घर से निकलना ही पडा घर के वास्ते, मजबूरियों का नाम हमने शौक रख दिया

इसके साथ ही प्रेम गीतों के माध्यम से खूब वाह वाही लूटी।

शर्म वाला नहीं गर्व वाला रंग

इसके बाद देश के विख्यात और ओजस्वी कवि अशोक चारण ने माहौल को बदलते हुए वीर रस की कविताओं के माध्यम से पुलवामा हमले में शहीद हुए 42 वीरों की कहानी सबके सामने रखी तो सभी नत मस्तक हो गये। इस कविता में एक बेटी को अपने पिता की सलामी वाली बात रख कर सभी को भावुक कर दिया।

वहीं उन्होंने जेएनयू में विवेकानंद जी की मूर्ती को तोड़ने को लेकर, काशी में भगवान शिव की मूर्ती के बाहर आने को लेकर कविता पढी और हिदुंस्तान और देश के वीरों पर कई कविताओं सहित तिरंगा की प्रस्तुति दे कर सभी का मन मोह लिया। भगवा रंग पर भी कविता सुना कर खुब तालियां बटोरी। कवि सम्मेलन का संचालन राव अजात श्रत्रु ने किया और कवियों को जोड़ने का कार्य क्षेत्र के कवि प्रवीण अत्रे ने किया और कार्यक्रम का सफल संचालन हेमंत भट्ट ने किया काव्य प्रेमी देर रात्रि तक डटे रहे।


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By nit

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