नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
![](https://usercontent.one/wp/www.newindiatimes.net/wp-content/uploads/2023/12/IMG-20231210-WA0067.jpg?media=1720687763)
राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान पैनल प्रमुख न्यायाधीशों और सरकारी वकीलों के कानूनी परामर्श और विचारों से प्रेरित होकर तीन शादी शुदा जोड़ों ने अपनी ओर से सीआरपीसी 125 के तहत कोर्ट में दायर कराई अर्जियां वापिस ले ली है। विवाहित दंपतियों और द्वारा स्वीकारी गई पारिवारिक एकता की इस पहल को हमने 1988 में राष्ट्रीय एकात्मता के लिए लोकसेवा संचार परिषद, आरती गुप्ता और कैलाश सुरेंद्रनाथ निर्मित ” मिले सुर मेरा तुम्हारा ” इस गीत के मुखड़े में पिरोना ठीक समझा। तहसील विधी सेवा समिति एवम वकील संघ के संयुक्त तत्वावधान से जामनेर कोर्ट में आयोजित लोक अदालत में सारे विवाद भुलाकर आपसी सहमति से वैवाहिक जीवन व्यतीत करने के लिए रजामंद हुए तीनों दंपतियों और उनके वकीलों का न्यायाधीश डी एन चामले ने सम्मान किया। कोर्ट की कार्रवाई में सरकारी सेवादार महकमों तथा व्यक्तिगत तौर से संबंधित कुल 1114 मामलों में समझौते के अनुसार निपटारा किया गया। लंबित 68 मामलों में 27, 59, 555 और विवाद पूर्व 1046 मामलों में 53, 71, 814 रुपए रकम वसूल की गई। न्यायाधीश डी एन चामले, न्यायाधीश पी वी सूर्यवंशी, न्यायाधीश बी एम काले इनकी उपस्थिति में सरकारी वकील कृतिका भट, अनील सारस्वत, वकील संघ अध्यक्ष बी एम चौधरी, सचिव एम बी पाटील, आशुतोष चंदेले ने मुकदमों मे पैरवी की। कार्यालय प्रमुख विजय पाटील और कोर्ट कर्मचारियों ने लोक अदालत आयोजन का प्रबंधन किया।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.