मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशनुसार प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, बुरहानपुर श्रीमती आशिता श्रीवास्तव के निर्देशानुसार एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बुरहानपुर के सचिव एवं जिला न्यायाधीश श्री आशुतोष शुक्ल के मार्गदर्शन में स्टार स्वरोजगार प्रशिक्षण केन्द्र बुरहानपुर में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर को संबोधित करते हुए जिला विधिक सहायता अधिकारी बुरहानपुर श्री जयदेव माणिक ने उपस्थित प्रशिक्षार्थियों को बाल विवाह के संबंध में जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि सर्वप्रथम 1929 में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम पारित किया गया था, जिसे वर्ष 2006 में इसमें नवीन संशोधन किया गया है। बाल विवाह वह है जिसमें लड़के की 21 वर्ष से पूर्व और लड़की की 18 वर्ष से पूर्व शादी की जाती है। बाल विवाह का दोषी उसके माता-पिता या अन्य किसी व्यक्ति की देखरेख में हो, बाल विवाह संपन्न करने वाला पंडित, रिश्तेदार, बाराती सम्मिलित हो सकते हैं। बाल विवाह के आरोपियों को दो साल तक का सश्रम कारावास या एक लाख रुपये तक का जुर्माना अथवा दोनों एक साथ हो सकते है। जिस व्यक्ति का बाल विवाह कराया जा रहा है। उसका कोई रिश्तेदार या परिचित बाल विवाह के बारे में पुलिस थाने में जाकर इसकी शिकायत कर सकता है। बाल विवाह होने से बहुत से दुष्परिणाम है जैसेः- कम उम्र में विवाह होने से गर्भपात के मामलें, समय पूर्व प्रसव की घटनाए एवं प्रसव के दौरान मृत्युदर में वृद्धि, कम उम्र में विवाह होने से बालिकाओं की शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है। साथ ही उन्होंने पर्यावरण संरक्षण अभियान के तहत जन, जंगल, जमीन, जानवर, जन की सुरक्षा करने के लिये आमजन को प्रेरित किया।
इस जागरूकता शिविर को डिप्टी चीफ लीगल एड काउंसिल श्री अब्दुल वकील खान (ए वी खान एडवोकेट) द्वारा संबोधित कर महिलाओं को विधि में वर्णित
कानून की जानकारी देते हुए घरेलु हिंसा, भरण-पोषण अधिनियम एवं कानून की जानकारी देकर लाभान्वित किया। उक्त अवसर पर स्टार स्वरोजगार के प्रशिक्षक, प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.