रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी/विजय सोलंकी, उज्जैन (मप्र), NIT:
उज्जैन में राजा विक्रमादित्य के समय से नगर पूजा की परंपरा चली आ रही है। इस परंपरा का निर्वाह करते हुए उज्जैन के राजा अर्थात जिला कलेक्टर द्वारा किया जाता है
यह नवरात्रि पर महाष्टमी के दिन वर्ष में एक बार जिला प्रशासन द्वारा नगर पूजा की जाती है। इस पूजा में लगभग 19 किलो मीटर तक मदिरा की धार लगाई जाती है जो कि शहर की कई देवी मंदिरों में जाती है इस महा पूजा में जिला प्रशासन के साथ-साथ कई श्रद्धालु पैदल चलते हैं।
यह यात्रा सुबह से प्रारंभ होकर शाम तक खत्म होती है। यात्रा उज्जैन की प्रसिद्ध 24 खंबा माता मंदिर से प्रारंभ होकर नगर भ्रमण के बाद ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर पर शिखर ध्वज चढ़कर समाप्त होती है। इस यात्रा की खास बातें होती कि एक घड़े में मदिरा को भर जाता है जिसने नीचे छेद होता है जिससे पूरी यात्रा के दौरान सड़क मार्ग देवी मंदिरों में मदिरा की धार बढ़ाई जाती है हर बार माह पूजा में जिला कलेक्टर के साथ प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी वह बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं।
इसी परंपरा को निभाने के लिए महाष्टमी के दिन आज सुबह जिला प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी उज्जैन 24 खंबा माता मंदिर पर पहुंचे और देवी महालय और महामाया की पूजा कर देवी को मदिरा चढ़ाई गई यह महाष्टमी की महा पूजा सुबह 8:00 बजे से ढोल ताशों के साथ शुरू हुई बाद में प्रशासनिक अमला तहसीलदार के नेतृत्व में नगर पूजा पर निकल पड़ा महा पूजा की यात्रा में कोटवार के हाथ में एक कलश रहता है इसके पहले में चेक किया हुआ होता है ताकि मदिरा की धार लगातार बहती रहे देवी शक्तियों को चढ़ाए जाने वाली इस मदिरा को प्रसाद के रूप में बड़ी संख्या में श्रद्धालु ग्रहण भी करते हैं।