नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
क्रीड़ा मंत्री रहते गिरीश महाजन ने खेल स्टेडियम के लिए 39 करोड़ रुपए मंजूर कराए थे। रेलवे स्टेशन यहां से बाहर जाने वाला है तो नगर परिषद, रेलवे मंत्रालय और प्रशासन मिलकर हम सब खेल स्टेडियम पर काम कर रहे है। मंत्री जी की सूचना पर डीपीआर तैयार करने को लेकर कार्रवाई शुरू की गई है यह जलगांव के जिलाधीश आयुष प्रसाद का बयान है। भुसावल रेलवे विभाग के कनिष्ठ अधिकारियो के साथ स्टेडियम की प्रस्तावित जमीन का मुआयना करने जामनेर रेलवे स्टेशन पहुंचे जिलाधीश ने किसी परिपक्व नेता की तरह काफ़ी कुछ कहा और गेंद रेलवे के पाले में डाल दी। डीएम ने आशा जताई कि 2036 मे होनेवाले ओलंपिक खेलो की मेजबानी भारत में होने पर कोई एक खिलाड़ी शहर में प्रस्तावित स्टेडियम की बदौलत दुनिया में जामनेर का नाम रोशन करेगा। विदित हो कि जिलाधीश कैमरों के सामने मन की बात कर रहे थे उनका संवाद पूरी तरह से एक तरफा था वहां उनसे नागरिकों ने कोई सवाल नहीं पूछे। रेलवे के अफसरो ने बोदवड़ – जामनेर – पाचोरा ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट का स्टेट्स और खेल स्टेडियम के लिए दी जाने वाली रेलवे विभाग की जमीन से पैदा होने वाले कानूनी तथा प्रशासनिक बिंदुओ संबंधी जानकारी देना जरूरी नहीं समझा। बस इतना बताया कि रेलवे विभाग स्टेडियम के प्रस्ताव पर विचार करेगा।
पहले का साइट सीन फेल:- ज्ञात हो कि एक साल पहले खेल स्टेडियम के लिए राशि भूशी टेकडी के निकट जमीन का सर्वे किया गया सात एकड़ भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू भी कराई गई थी। आखिर उस साइट का क्या ? हुआ, क्या ? सत्ता पक्ष की ओर से इस मामले में धर्म के एंगल को ठेलकर सामाजिक ध्रुवीकरण को बल दे कर निर्माणाधीन स्टेडियम को किसी दूसरी जगह पर करवट बदलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। या फिर स्टेडियम के नाम पर रेलवे की बेशकीमती जमीन हथियाकर वहा BOT जैसा कोई कमर्शियल प्लान सफ़ल बनाने की कोशिश की जा रही है।
रेलवे की जमीन हासिल करना किसी चुनौती से कम नहीं:- स्टेडियम के लिए जामनेर रेलवे स्टेशन की सात एकड़ जमीन को हासिल करना राज्य सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। इस प्रोसेस में कई साल बीत जाने है, स्टेडियम की लागत बढ़ने के सिवाय कुछ हाथ नहीं जायेगा। आने वाला साल लोकसभा के चुनावों का है, महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव किसी भी समय घोषित किए जा सकते हैं। डेंजर जोन में आने वाले सत्ता पक्ष के हेवी वेट नेताओं और मंत्रियों को जितवाने के लिए सूबे के तमाम जिलों के डीएम और अन्य प्रशासनिक अधिकारी वर्ग को विकास के नाम पर जनता के बीच खूब दौड़ाया जा रहा है।
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