कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के समझाने पर पति-पत्नी साथ रहने के लिए हुए तैयार | New India Times

रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के समझाने पर पति-पत्नी साथ रहने के लिए हुए तैयार | New India Times

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के आदेशानुसार एवं प्रधान जिला न्यायाधीश अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झाबुआ श्रीमती विधि सक्सेना के मार्ग दर्शन में 9 सितम्बर-2023 दिन आज शनिवार को झाबुआ जिले की वर्ष की तृतीय नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।
आवेदिका की शादी आवेदक से लगभग 8 वर्ष पूर्व हुई थी। आवेदिका और आवेदक की दो संतानें है।

शादी के 2 वर्ष तक आवेदिका को आवेदक ने अच्छी तरह रखा उसके पश्चात आये दिन छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद उत्पन्न होने लगा।

आवेदिका ने बताया कि आवेदक उसके साथ मारपीट करता था और कहता था कि मैं दूसरा विवाह कर लूंगा ऐसा कहकर आये दिन प्रतााड़ित करता रहता तथा प्रथम पुत्री के जन्म के पश्चात् आवेदिका की सास, ससुर, जेठ आये दिन आवेदिका को ताना देते थे कि तूने हमारा वंश बढ़ाने के लिए लड़का पैदा नहीं किया।

इसलिए हम हमारे लड़के की शादी दूसरी जगह करेंगे।
ऐसा कहकर आवेदिका के साथ मारपीट कर घर में बंद कर देते थे एवं खाने-पीने भी नहीं देते थे।

इसके उपरांत भी प्रार्थीया विपक्षी के साथ रहकर अपने पत्नी धर्म का निर्वाह करती रही। आवेदिका ने बताया कि दूसरी पुत्री के बाद और ज्यादा घरवाले परेशान करने लगे और मुझे घर से निकाल दिया।

आवेदिका ने बताया कि मुझे और मेरे बच्चों के जीवन निर्वाह के लिए मैंने कुटुम्ब न्यायालय झाबुआ में भरण-पोषण का केस दायर किया।

न्यायाधीश ने 9 सितम्बर को आयोजित नेशनल लोक अदालत में दोनों पति-पत्नी को बुलाया।

मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को लोक अदालत में सुलह के लिए राजी कराया गया मध्यस्थता के दौरान दोनों पक्षों ने एक दूसरे से बातचीत की और अपने-अपने दृष्टिकोण को समझाया। इसके बाद दोनों ने आपसी सहमति से सुलह कर ली। सुलह के समझौते के आधार पर पत्नी ने पति पर लगाए गए सभी आरोप वापस ले लिए।

इसके अलावा दोनों ने बच्चों की कस्टडी और भरण-पोषण को लेकर भी समझौता किया।

समझौते के बाद दोनों ने एक दूसरे को माफ कर दिया और फिर से साथ रहने का फैसला किया।

इस मामले में लोक अदालत के माध्यम से सुलह होने पर दोनों पक्षों ने खुशी व्यक्त की। पति ने कहा कि वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता है और वह फिर से साथ रहकर खुशहाल जीवन जीना चाहता है। पत्नी ने कहा कि वह भी अपने पति से प्यार करती है और वह दोनों के बीच हुए विवाद को भुलाकर आगे बढ़ना चाहती है।

दोनों ने एक-दूसरे को माला पहनाकर एक साथ रहने के लिए राजी हुये।
इस मामले में प्रधान न्यायाधीश नरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि यह एक अच्छी बात है कि दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से सुलह कर ली। उन्होंने कहा कि लोक अदालत के माध्यम से ऐसे कई मामले सुलझते हैं जहां पति-पत्नी आपसी मतभेदों को लेकर एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं। लोक अदालत ऐसे मामलों में दोनों पक्षों को एक साथ बैठाकर बातचीत करने का मौका देती है जिससे दोनों समझौता करने के लिए तैयार हो जाते हैं। न्यायाधीश ने न्याय के प्रतीक के रूप में दोनों फलदार एवं छायादार पौधे देकर अपने वैवाहिक जीवन को अच्छे से जीने की शुभकामनाऐं दी।

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