नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
मंत्री गिरिश महाजन के गृह नगर जामनेर में अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं, चोरी,लूट आदि की वारदातें बढ़ती जा रही हैं जिन्हें रोकने में स्थानीय पुलिस नाकाम साबित हो रही है।
जामनेर ब्लॉक के वाडी गांव के समीप एक ढाबे पर देसी कट्टे के दम पर डकैती का प्रयास करने वाले अपराधियों को मुक्ताईनगर पुलिस ने धरदबोचा है। इस घटना को लेकर लोकल मराठी अखबारों में छपी खबरों में जानकारी के नाम पर पाठकों के लिए काफ़ी थ्रिल पैदा किया गया, कुछ क्रेडिट जामनेर पुलिस को भी दिया गया। जामनेर के आनंद नगर में जब देवीदास चव्हाण के निर्जन घर में अज्ञात चोरों द्वारा सफलतापूर्वक सेंध लगाने का मामला सामने आया तब खबरों की दुनियां में टेबल न्यूज जैसा रिएक्शन देखने को मिला। विभिन्न शहरों में होने वाले क्राइम सींस को मीडिया में प्रकाशित करने को लेकर सरकार में शामिल मंत्रियों की प्रतिष्ठा और रुतबे का विशेष ख्याल रखा जाता है। यह ट्रेंड सरकार के मंत्रियों के गृह नगरों में राजनीतिक शिष्टाचार का हिस्सा बन गया है जो सूचनाओं का दमन करता है और ज़ीरो क्राइम रेट रेशियो को जनता के बीच मेंटेन करता है।
पचास हजार की आबादी वाले जामनेर में बीते दस साल में डकैती की दर्जनों घटनाएं हुईं लेकिन किसी भी वारदात की जांच ठोस नतीजे तक नहीं पहुंची। इन मामलों में कितने आरोपी पकड़े गए और कितने माल की रिकवरी हुई इसकी कोई जानकारी प्रशासन की ओर से सार्वजनिक नहीं की गई, आप NCRB का डेटा चेक कर सकते हैं। शहर से दिनदहाड़े मोटर साइकिलें चोरी हो रही हैं लेकिन पुलिस को सुराग तक नहीं मिलता, सारे के सारे सरकारी सीसीटीवी बंद हैं। छोटी छोटी बात को लेकर बस स्टैंड पर स्कूल कॉलेज के बच्चे आपस में भिड़ जाते हैं, इस विवाद में दक्षिण पंथी विचारों से पीड़ित धर्मरक्षक टाइप बेरोजगार कूदकर कानून व्यवस्था को चुनौती देते हैं। यहां पुलिस का एक भी कर्मी ड्यूटी पर नहीं होता, सब कुछ हो जाने के बाद पुलिस आती है चक्कर लगाती है और चली जाती है।
लोकल क्राइम ब्रांच (LCB) का रिज़ल्ट बेस्ट
जामनेर ब्लॉक में हत्या, डकैती जैसी जितनी वारदातें हुई हैं उनमें से जिन मामलों की जांच जलगांव LCB को सौंपी गई थी उन सब के जांच और सत्यापन का ग्राफ लोकल पुलिस की तुलना में काफी बेहतर रहा है।
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