नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
ब्लू बुक मैनुअल के आधार पर काम करने वाली ED ने बार बार अपने कर्तव्य का व्यापक स्तर पर किया हुआ विस्तार साबित किया है। पूर्व राज्यसभा सांसद ईश्वर जैन के फर्म आर एल ज्वेल्स पर प्रवर्तन निदेशालय की दबिश को लेकर एजेंसी की ओर से किसी भी ठोस कारण को सार्वजनिक नहीं किया गया लोकल मराठी अखबारों ने इस खबर के शीर्षक के आगे प्रश्नचिन्ह लगाया है जबकि अन्य अखबारों ने इस मामले में बिना प्रश्नचिन्ह का इस्तेमाल किए विस्तार से लिखने का प्रयास किया है। नागपुर, औरंगाबाद से पधारे ED के दस्ते ने पंद्रह घंटे तक रेकॉर्ड चेक किया। ठीक इसी प्रकार की कार्रवाई जामनेर के एक सुपर मार्केट में GST विंग मुंबई की ओर से की गई थी। इस मामले में GST के अधिकारियों ने मीडिया से बात कर कार्रवाई का कारण सार्वजनिक किया था। टीम के प्रमुख ने बताया था की टैक्स संकलन को लेकर शिकायती अर्जी का निपटारा किया जाना है। ED, सीबीआई, आईटी के कामकाज को आम जनता राजनीतिक नजरिए से देखने लगी है। केंद्रीय जांच एजेंसियों के खिलाफ़ कोर्ट के कई फैसलों ने जनता की धारणा को मजबूत किया है। ईश्वर जैन के फर्म पर की गई रेड को राजस्थान की राजनिति से जोड़कर देखा जा रहा है। NCP से सांसद रहे जैन की राजनीति से महाराष्ट्र और खास तौर पर जलगांव जिले में विपक्षी भाजपा को कभी भी कोई भारी नुकसान नहीं पहुंचा उलटा फायदा ही हुआ है।
व्यवहार रडार से बाहर
जलगांव जिले में जमीन से जुड़े करोड़ों रूपयों के व्यवहार हैं जो केंद्रीय जांच एजेंसीज के रडार से बिल्कुल बाहर हैं। राजनेताओं के आशीष से नए नए ठेकेदार बने कार्यकर्ताओं के इनकम के सोर्स और उससे खरीदी गई बेशकीमती संपत्ति का ब्यौरा पूरी तरह से गड़बड़ है। इस स्कैम की जड़ बीते दस साल के सरकारी योजनाओं के ठेकों में मिलेगी वे सैकड़ों करोड़ रुपए के कथित घोटालों की जांच को एजेंसियां चाहे तो स्वसंज्ञान से शुरू कर सकती हैं।
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