रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे की सबसे अहम कड़ी कोटा-दराटनल अपनी डेडलाइन से 9 माह पीछे है। कारण- जिस पहाड़ को चीरकर यह बनाई जा रही है, वह कच्चा है। चट्टानें कमजोर होने से ड्रिल और ब्लास्टिंग में काफी सावधानी बरतनी पड़ रही है। इससे खुदाई की गति धीमी चल रही है।
पत्थर नीचे न आ जाएं, इसके लिए इस टनल में हर डेढ़ मीटर पर 5 मीटर लंबा बोल्ट कसा जा रहा है। कुल 4.9 किमी की इस टनल का निर्माण पूरा होते ही मध्य प्रदेश दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे से जुड़ जाएगा। राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच एक्सप्रेस-वे के बचे काम इस टनल के निर्माण तक पूरे हो जाएंगे। टनल में 3.3 किमी का हिस्सा पहाड़ का है। इसमें से 1.6 किमी की खुदाई हो चुकी है। दिसंबर 2024 तक इसके पूरे होने की संभावना है। टनल की लागत 1143 करोड़ रुपए है।
कच्चे पहाड़ की बड़ी चुनौती से गुजरेगा हमारी समृद्धि का रास्ता
ये बोल्ट ग्लास फाइबर का है जो स्विट्जरलैंड से मंगवाया गया है। एक बोल्ट की कीमत साढ़े पांच हजार रुपए है। एक लेयर में 26 बोल्ट लगेंगे। यानी 3.3 किमी में 1.07 लाख।
मप्र में लंबाई 244 किमी
राज्य- किमी
गुजरात 426
राजस्थान 737
मध्य प्रदेश 244
महाराष्ट्र 174
हरियाणा 138
एक्सप्रेस-वे वडोदरा से मध्य प्रदेश के मेघनगर से लगी अनास नदी के पास से प्रदेश में एंट्री लेगा। फिर थांदला, सैलाना, खेजड़िया, शामगढ़, गरोठ होते हुए कोटा से जुड़ेगा।
समृद्धि के रास्ते खुलेंगे, राऊ-देवास बायपास के जरिये गरोठ में कॉरिडोर से जुड़ेगा इंदौर
मंदसौर- रतलाम-झाबुआ – उज्जैन- धार में 10 फोरलेन सड़कों के प्लान तैयार हो रहे हैं जो एक्सप्रेस- वे से कनेक्ट होंगी। कुल लंबाई 650 किमी होगी।
• इंदौर को राऊ – देवास बायपास के जरिए गरोठ में दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर (डीएमआईसी) से जोड़ा जाएगा। इंदौर से गरोठ तक 173 किमी फोरलेन सड़क बनाई जा रही है।
गरोठ में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का जंक्शन बनाया जा रहा है। गरोठ और जावरा में लॉजिस्टिक हब बनाया जाएगा। यह मालवा क्षेत्र में प्रगति के रास्ते खोलेगा।
• दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे वडोदरा से मेघनगर से लगी अनास नदी के पास से मप्र में एंट्री लेगा। फिर थांदला, सैलाना, खेजड़िया, शामगढ़, गरोठ, भवानीमंडी, कोटा होकर दिल्ली पहुंचेगा।
आदिवासी की जमीन अधिग्रहित नहीं होगी: सांसद डामोर
दरअसल इन दिनों 8 लेन के आसपास की जमीन उद्योगों को लेने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से काफी विरोध चल रहा है। हजारों आदिवासी थांदला में 5 अगस्त को विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। औद्योगिक केंद्र विकास निगम ने सर्वे कर 8 गांवों की जमीन को लेकर स्थिति पता करवाना शुरू किया है। जिले में राजस्व विभाग को ये जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन ये खबर बाहर आते ही विरोध शुरू हो गया।पिछले दिनों सांसद से प्रेसवार्ता में इस मुद्दे पर सवाल किया गया था। इसके अलावा उन्होंने अपनी ओर से कई दावे किए।
इस पर सांसद ने जिले में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे के आसपास औद्योगिक विकास के लिए किसी भी आदिवासी की जमीन अधिग्रहित नहीं होगी। यहां केवल सरकारी जमीन का उपयोग उद्योगों के लिए किया जाएगा। आदिवासी की जमीन उनकी ही रहेगी। ये बात सांसद ने कही।
गुमानसिंह डामोर: रतलाम-झाबुआ सांसद
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