रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
रमज़ान के पूरे माह के रोज़े रखने के बाद आज ईद का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
ईद की नामज़ ईदगाह पर सुबह 8 बजे अदा की गई। पूरे मुल्क के साथ झाबुआ व जिले के मेघनगर, रानापुर, पेटलावद, थांदला में भी ईद की नामज़ अदा की गई। ईदगाह पर प्रशासन भी मुस्तेद रहा।
ईदगाह पर प्रशासनिक अमला में एसडीएम, तहसीलदार, टीआई व पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी मौजूद थे।
पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्ल. ने फरमाया की ईद का दिन खुशी का दिन है वो इसलिए की पूरे महिने में रोज़ेदार जब रोज़े रखकर, तरावीह की नमाज़े पड़ कर व कुरान की तिलावत करके जब ईद के दिन अपने मालिक से अपनी मजदूरी लेने ईदगाह पर जाता है तो उसके लिए खुदा की तरफ से एक अज़ीम इनाम मरहमत फरमाया जाता है।
रोज़ेदार के लिए ईदगाह पर इनाम की बारिश
हुजूर सल्ल. की हदीस की रोशनी में मौलाना मेहबूब ने अपनी तकरीर में रोजेदारों के बारे में फरमाया की जब इदुल-फ़ित्र की रात होती है तो इसका नाम आसमानों पर लैलतुल जायजा (इनाम की रात) से लिया जाता है और जब ईद की सुबह होती है तो हक़ तआला शानुहू फ़रिश्तों को तमाम शहरों में भेजते हैं। वह ज़मीन पर उतर कर तमाम गलियों, रास्तों के सिरों पर खड़े हो जाते हैं और ऐसी आवाज़ से जिसको जिन्नात और इन्सान के सिवा हर मख़्लूक़ सुनती है, पुकारते हैं कि ऐ मुहम्मद सल्ल० की उम्मत उस करीम रब की बारगाह की तरफ़ चलो जो बहुत ज़्यादा अता फ़रमाने वाला है। फिर जब लोग ईदगाह की तरफ़ निकलते हैं, तो हक़ तआला शानुहू फ़रिश्तों से दरयाफ्त फ़रमाते हैं क्या बदला है उस मज़दूर का जो अपना काम पूरा कर चुका हो, वे अर्ज करते हैं कि हमारे माबूद और हमारे मालिक इसका बदला यही है कि उसकी मजदूरी पूरी-पूरी दे दी जाये।
तो हक़ तआला शानुहू इर्शाद फ़रमाते हैं कि ऐ फ़रिशतो
मैं तुम्हें गवाह बनाता हूं, मैंने इनको रमज़ान के रोज़ों और तरावीह के बदले में अपनी रिज़ा और मग्फ़िरत अता कर दी और बन्दों से ख़िताब फ़रमा कर इर्शाद होता है कि मेरे बन्दो! मुझसे मांगो, मेरी इज्ज़त की क़सम! मेरे जलाल की क़सम ! आज के दिन अपने इस इज्तिमा में मुझसे अपनी आख़िरत के बारे में जो सवाल करोगे, अता करूँगा और दुनिया के बारे में जो सवाल करोगे, उसमें तुम्हारी मसलहत पर नज़र करूंगा।
मेरी इज़्ज़त की क़सम कि जब तक तुम मेरा ख़्याल रखोगे, मैं तुम्हारी लग्ज़िशों पर सत्तारी करता रहूँगा और उनको छिपाता रहूंगा।
मेरी इज़्ज़त की क़सम और मेरे जलाल की क़सम! मैं तुम्हें मुज्रिमों के सामने रुस्वा और फ़ज़ीहत न करूंगा। बस अब बख़्शे – बख़्शाए अपने घरों को लौट जाओ। तुमने मुझे राज़ी कर दिया और मैं राज़ी हो गया। फ़रिश्ते इस अज्र व सवाब को देख कर जो इस उम्मत को ईद के दिन मिलता है, खुशियां मनाते हैं और खिल जाते हैं।
अल्लाहुम्मज् अल्ना मिनहुम: मौलाना मेहबूब मरकज़ मस्ज़िद मेघनगर झाबुआ
हिन्दू मुस्लिम भाइयों ने गले मिलकर एक दूसरे को दी ईद की मुबारकबाद
ईद की नमाज ईदगाह पर अदा की गई। लोगों ने ईद की नामज़, दुआ व खुत्बा सुनने के बाद ईदगाह पर एक दूसरे को गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी वहां मौजूद रहे। मौलाना मेहबूब, मुफ़्ती सलमान, हाफ़िज़ रिजवान, हाफ़िज़ मोहसिन पटेल, मौलवी सलमान, सदर हाजी सलीम शेरानी एडवोकेट, आजाद मेडिकल के संचालक हाजी इरफान शेरानी, वरिष्ठ समाज जन सुलेमान शेख, अनवर भाई मंसूरी, एडवोकेट सलीम भाई कादरी, अबरार खान, असपाक शेरानी, इरफान शेरानी, सौहेल शेरानी, हाफीज बिलाल दुर्वेश, हनीफ पटेल, एडवोकेट जियाउल हक कादरी, शेख मुख्तिया सय्यद. रहीम शेरानी, फारुक शेरानी, जाकीर शेख, डॉ अय्युब, ठेकेदार असलम भाई शेरानी, सिद्दीक भाई दुर्वेश (बिल्ला सेठ) निसार शेरानी, तला भाई शेरानी, अयूब भाई ट्रेलर, बाबु शेरानी, असफाक शेरानी, मेहमुद भाई, आदी समाजजनो के इनके अलावा हिंदू समाज के मिलनसार डॉ. महावीर जैन, डॉ उमेश जोशी, मनोहर सेठ, डॉक्टर किशोर नायक, मांगीलाल नायक, दिलीप सेठ, सुनील पावेचा, दीपक जायसवाल, सुरेंद्र राणा, डॉ विनोद नायक, मनोज पंचाल, अजय डामोर,राजा मानसिंह, कालू बसोड़, आदि कई भाइयों ने आपस में एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी।
ईदगाह पर हजारों की तादाद में समाज जनों ने शिरकत कर एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी।
देर रात तक चलता रहेगा दावतों का सिलसिला,मुस्लिम समाज मना रहा है हर्षोल्लास के साथ ईद।
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