नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
20 अप्रैल की शाम 4 से 6 बजे तक तूफ़ान के साथ हुई तेज बारिश के कारण जलगांव जिले में खेती का बहुत नुकसान हुआ है। जामनेर तहसील के फत्तेपुर खंड में चक्रवाती तूफान के कारण सैकड़ों हेक्टेयर जमीन पर खड़े केला बागान बर्बाद होकर 30 हजार केले के पेड़ धराशायी हो गए हैं। खबरों के मुताबिक नेरी, वाकोद, शेंदुर्नी खंड में भी मका की फ़सल बर्बाद होने की पुष्टि हुई है। किसानों ने अपने खेतों में हरी सब्जियों के जो छोटे छोटे प्लॉट लगाए थे वो सारे के सारे तूफान से जमींदोज हो गए हैं। छत्रपति संभाजी नगर जिले के सिल्लोड तहसील, अजंता सोयगांव से लेकर जलगाँव जिले के कई तहसीलों में बेमौसमी बारिश ने हाजरी लगाई।
कपास को 12 से 15 हजार का दर मिलने की आशा को त्यागते हुए किसानों को महज 8 हजार रुपए के दर से कपास बेचना पड़ी। कांग्रेस राज में कपास को लेकर आंदोलन की नौटंकी करने वाले कारपोरेट छाप मंत्रियों के मुंह से एक शब्द तक नहीं निकला। 2021 में खेत खलिहानों का इसी प्रकार से नुकसान होने पर ठाकरे सरकार के मंत्री फिल्ड पर उतरे थे तब भाजपा ने निचले स्तर पर जाकर ठाकरे पर व्यक्तिगत रूप से हमले किए थे। आज डबल इंजिन सरकार को सत्ता मे आए 9 महीने बीत गए इस दौरान सूबे में कृषि क्षेत्र पर कई तरह की प्राकृतिक आपदाएं आईं और लगातार आ रही हैं। सरकार के 20 मंत्री प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नक्शेकदम पर चलते हुए कैमरा फेस करने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। तूफ़ानी बारिश थमने के बाद मंत्री विधायक अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में नुकसान के मुआयने को निकलेंगे उसके बाद पंचनामों के आदेश जारी होंगे फिर इस पूरी आपदा की देनदारी को फसल बीमा कंपनियों की ओर शिफ़्ट कर दिया जाएगा। दायित्व के रूप में सरकार फूटी कौड़ी तक रिलीज़ नहीं करेगी। वैसे भी भाजपा सरकार ने कृषि रिलीफ़ पैकेज वाला सिस्टम कब का बंद कर दिया है।
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