नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
2012 की बात है हिवरखेड़ा ब्लाक जामनेर के निकट वाघुर डैम के बैक वाटर के किनारे पर किसी पुरातत्व विभाग के साइड की तरह विशाल गड्ढा खोदा गया जिसमें लिफ़्ट प्रोजेक्ट की नींव डाली गई थी। जामनेर के विधायक गिरीश महाजन आए दिन उच्चपदस्थ आईएएस अधिकारियों के संग इस साइड पर आते और प्रोजेक्ट के विषय में अपने दोस्तों से जानकारी शेयर किया करते। दूसरे दिन अखबारों में इन्हीं रंगीन फोटोस के नीचे विनोद, विकास टाइप वाले कैप्शन लिखकर जनता के बीच लोकप्रियता साधी जाती। सन 2011 में UPA सरकार द्वारा 250 करोड़ रुपए की लागत से मंजूर की गई वाघुर लिफ़्ट योजना से जामनेर पाचोरा तहसील क्षेत्र के करीब 70 से अधिक गांवों की सूखाग्रस्त खेती के लिए पानी देना था। 13 साल बीतने के बाद अंतिम छोर तक पाइप लाइन बिछ चुकी है पर हार्ड स्टोन के कारण गोंडखेल में काम रुका पड़ा है, यहां काम आगे बढ़े इसके लिए कई बार सुधारीत रेट पर टाइम बांड बढ़ाया गया। पाइप के जाल से उन 3 हजार तालाबों को भरना है जो किसानों की सामूहिक हिस्सेदारी से बनेंगे, उन्हीं तालाबों से किसान अपने खेतों को 24 घंटे पानी दे सकेंगे। 3 हजार तालाबों के निर्माण के लिए कृषि विभाग की मदद ली जानी है। तालाब खोदने का खर्चा सरकार करेगी। सामुदायिक तालाबों के निर्माण के लिए प्रशासन का सारा समय किसानों की यूनियन बनाने में चला गया बावजूद यूनियन नहीं बनी। तालाबों के निर्माण के लिए लगने वाले फंड को लेकर सरकारी बजट में कोई प्रावधान किया गया है या नहीं इस पर विधायक महोदय की ओर से किसी भी प्रकार की कोई जानकारी सदन या सदन के बाहर सार्वजनिक नहीं की गई। जामनेर ब्लाक में भागपुर, नार पार, कांग, तापी वाघुर जोड़ जैसी कई योजनाएं हैं जो केवल भाषणों में सुनाई गई। New india Time’s ने इस लिफ़्ट इरीगेशन प्रोजेक्ट को लेकर कल एक स्टोरी की जिसके बाद यह विषय चर्चा में आया, अभी तो आम लोग इस प्रोजेक्ट को भूल चुके थे। मान लीजिए अगर आज अभी सूबे में विधानसभा के चुनाव होने की स्थिति बनती है तो बिछाई गई पाइप लाइन से पानी पास करवाने के इवेंट को इस कदर अंजाम दे दिया जाएगा की मानो जामनेर में बारामती जैसी संपन्नता आ गई।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.