योग: एक क्रांति का सूत्रपात  | New India Times

Edited By Atish Deepankar, NIT; ​योग: एक क्रांति का सूत्रपात  | New India Times

विशेष लेख: डॉ. एच आर नागेन्द्र

योग ने यूं तो हमेशा से ही लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, पर पिछले तीन वर्षों के दौरान योग को लेकर आम लोगों में काफी जागरूकता देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अपील के जवाब में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा की तत्काल 187 देशों द्वारा सराहना की गई एवं इसे प्रायोजित किया गया। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ने योग को दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए जीवन की एक शैली के रूप में बढ़ावा दिया है। इसके साथ ही, भारत ने एक प्राचीन अभ्यास को साझा किया है, जिसे अब सांस्कृतिक, धार्मिक, राष्ट्रीय एवं भाषाई बाधाओं के भेदभाव से अलग दुनिया के लगभग सभी देशों ने अपना लिया है और इस प्रकार उन्होंने भारत के मूलभूत संदेश ‘ विविधता में एकता‘ को मजबूती प्रदान की है।​योग: एक क्रांति का सूत्रपात  | New India Timesअंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (आईडीवाई) एक असाधारण पैमाने पर दुनिया भर के करोड़ों लोगों को एक साथ लाने में सफल हुआ है और इसने पूरे विश्व में प्रेम, शांति और सद्भाव का संदेश फैलाया है।​
योग: एक क्रांति का सूत्रपात  | New India Timesपश्चिम देशों में, योग को मूलभूत रूप से शारीरिक शक्ति और लचीलेपन को बेहतर बनाने के लिए एक शारीरिक क्रिया या व्यायाम माना जाता है। लेकिन, ‘योग‘ का अर्थ ही होता है ‘जोड़‘ अर्थात चेतना की उच्चतर अवस्थाओं तक पहुंचने के लिए दिमाग, शरीर और आत्मा का संयोजन।

तथाकथित ‘गॉड पार्टिकल‘ की खोज सहित प्रमात्रा भौतिक विज्ञान में हाल की प्रगति के साथ विज्ञान ने अपनी सीमाओं को महसूस करना और पारंपरिक न्यूनीकरण ढांचे से आगे देखना आरंभ कर दिया है। ज्ञान योग विज्ञान को भौतिक संरचना से आगे निकलने का निर्देश देता है जिससे कि मानवीय आयामों के पांच स्तरों की पहचान की जा सके।


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