अबरार अहमद खान, भोपाल, NIT;
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 61 वर्ष के इतिहास में पहली बार एक जज को इंसाफ पाने के लिए धरने पर बैठना पड रहा है। जब न्याय के लिए जज धरने पर बैठ रहे हैं तो आम आदमी को न्याय के क्या क्या नहीं करना पड़ता होगा? न्याय पाने के लिये धरने पर बैठने के लिये मजबूर हुए जज आरके श्रीवास का कहना है कि अगर न्याय नहीं मिला तो धरने के बाद वह अनशन करेंगे।
जज श्रीवास 15 महीने में 4 बार तबादल किए जाने के विरोध में सत्याग्रह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश और रजिस्ट्रार जनरल को अपने साथ हुए अन्याय से अवगत कराने के बावजूद हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से अब तक कोई भी सकारात्मक रिस्पांस सामने नहीं आया। हर 3 महीने में ट्रांसफर से परिवार परेशान हो गया है। इस बार जैसे-तैसे जबलपुर के क्राइस्ट चर्च स्कूल में बच्चे का एडमिशन करवाया था। एक को पढ़ाई के लिए नीमच में छोड़ना पड़ा, क्योंकि वहां से भी तबादला कर दिया गया था।
जज ने कहा कि महज 15 माह में चौथा तबादला हाईकोर्ट की ट्रांसफर पॉलिसी के सर्वथा विपरीत है। इससे यह साफ होता है कि एकरूपता को पूरी तरह दरकिनार करके मनमाने तरीके से भाई-भतीजावाद के आधार पर तबादले किए जा रहे हैं। इसलिए बजाए झुकने के संघर्ष का रास्ता चुनना पड़ा। मुझे अब तक नीमच में ज्वाइन कर लेना था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। इसके स्थान पर नौकरी को दांव पर लगाकर सत्याग्रह की राह पकड़ ली है। यदि मुझे गिरफ्तार करने के निर्देश दिए गए तो जेल जाने तक तैयार हूं, लेकिन अन्याय किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करूंगा।
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