राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्वयं सहायता समूह में जुड़ने के बाद श्रीमती मारिया गोरती पति सुनील मेडा का पुरा परिवार कर रहा है खुशहाल जीवन यापन | New India Times

रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्वयं सहायता समूह में जुड़ने के बाद श्रीमती मारिया गोरती पति सुनील मेडा का पुरा परिवार कर रहा है खुशहाल जीवन यापन | New India Times

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्वयं सहायता समूह में जुड़ने के बाद श्रीमती मारिया गोरती पति सुनील मेडा का पुरा परिवार खुशहाल जीवन यापन कर रहा है।श्रीमती मारिया गोरती सुनील निवासी गोपालपुरा जिला झाबुआ पुर्व में ग्रहणी थीं। घर से बाहर भी नहीं निकल पाती थीं व पति भी गंभीर बीमारी से ग्रसीत था। बच्चों की पढाई भी नहीं करवा पा रही थी। पति के इलाज के लिए 2 लाख का कर्ज अन्य जगह से लिया। धीरे-धीरे पति की हालत का़फी खराब हो गई और कुछ समय पश्चात् पति की मत्यु हो गई। जिसके बाद बच्चों व परिवार की जिम्मेदारी मारिया पर आ गयी थीे। इस कारण मारिया को छोटी-छोटी जरूरत के लिए सेठ साहूकार से पैसे उधार लेने पड़ते थे, ऐसी स्थिति में उनका कर्ज भी अधिक हो चुका था जिसके कारण परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर हो चुकी थी, साथ ही मारिया के बच्चे शिक्षा से दूर हो गए थे और समाज में भी उनकी स्थिति ठीक नहीं मानी जाती थी।

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्वयं सहायता समूह में जुड़ने के बाद श्रीमती मारिया गोरती पति सुनील मेडा का पुरा परिवार कर रहा है खुशहाल जीवन यापन | New India Times

वर्तमान में म.प्र. डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्वयं सहायता समूह में जुड़ने के बाद श्रीमती मारिया गोरती पति सुनील मेडाने पहले घर की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए पैसे लेकर पूरी की व बाद में बड़ा उधार लेकर स्वयं को कर्जमुक्त किया।

इसके बाद मारिया ने परियोजना के सहयोग से चुडी निर्माण हेतु प्रशिक्षण दिलवाया गया एवं सिलाई कार्य भी सीख कर सिलाई कार्य करने लगी, इसके बाद चुडी निर्माण का कार्य अन्य ग्रामो में भी सीखाने लगीं इससे इसकी आमदनी भी होने लगी। ग्राम से 8 किमी दुर एक लड़कियों के हास्टल में लड़कियों को चुडी का कार्य करने सिखाने लगीं जिससे उसको 7 हजार प्रतिमाह आय होने लगी साथ ही उसने समूह के माध्यम से ऋण लेकर कपडा व्यवसाय एवं मुर्गी पालन का कार्य भी करने लगीं जिससे दोनों को मिलाकर 8 हजार रूपये प्रतिमाह आमदनी होने लगी।

इस प्रकार मारीया ने समूह के माध्यम से ऋण प्राप्त कर अपनी आजीविका को स्वाहनीय बनाया जिसके कारण आज मारिया के बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रहे है, मारिया का घर परिवार में भी मान-सम्मान बढ़ गया है।

समूह के माध्यम से आज मारीया की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति मजबुत हो गई है जिससे उसका जीवन खुशाल हो गया है। जिससे मारिया के परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, व वर्तमान में इनकी वार्षिक आय 264000/- है।


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