सिंचाई में जामनेर का पिछड़ापन बरकरार: 27 साल बाद क्या ख़त्म होगी स्पोर्ट स्टेडियम की प्रतीक्षा? | New India Times

नरेंद्र कुमार, जामनेर/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

सिंचाई में जामनेर का पिछड़ापन बरकरार: 27 साल बाद क्या ख़त्म होगी स्पोर्ट स्टेडियम की प्रतीक्षा? | New India Times

मोदी जी खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए उनसे सीधा संवाद स्थापित करते हैं, अभिनंदन करते हैं, खेलों की ओर गंभीरता से देखते हैं!! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गौरव करते हुए महाराष्ट्र के युवा कल्याण तथा क्रीड़ा मंत्री गिरीश महाजन ने राष्ट्रकुल प्रतियोगिता मे मेडल विजेता खिलाड़ियो और उनके कोच के उपहार राशि में पांच गुना बढ़ोतरी को लेकर शिंदे सरकार की ओर से लिए गए निर्णय की घोषणा की. महाजन ने खेलो को बढ़ावा देने के लिए जिला और तहसिल स्तर पर क्रीडा संकुलों के निर्मिति पर जोर दिया. विवेचना यह है कि मंत्री जी का गृह नगर जामनेर पिछले 27 सालों से स्पोर्ट स्टेडियम की प्रतीक्षा में है. जामनेर में 1995 से लेकर अब तक क्रीड़ा क्षेत्र के भीतर बुनियादी और ठोस उपलब्धि हासिल करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया. सैकड़ों युवक स्टेडियम के अभाव के कारण अपनी जान जोखिम में डालकर सड़को पर दौड़कर अपनी मेहनत और लगन से पुलिस में भर्ती हो गए आज भी ये जज़्बा कायम है. 2014 के देवेंद्र फडणवीस सरकार में महाजन पूरे पांच साल तक जलसंपदा मंत्री थे बावजूद इसके जामनेर ब्लॉक मे 100 से अधिक गांव के किसान सिंचाई व्यवस्था से वंचित है. 2011 मे तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की देन वाघुर लिफ्ट इरिगेशन स्किम अब तक पूरी नहीं हो सकी है हां विभिन्न सिंचाई स्कीम के नाम पर विधानसभा के चुनाव जरूर जीते गए. एकनाथ शिंदे सरकार में ग्रामविकास, युवक कल्याण क्रीड़ा एवम मेडिकल साइंस मंत्री बनाए गए महाजन के निर्वाचन क्षेत्र की जनता मंत्री जी द्वारा विकास के बैकलॉग को पाटने की उम्मीद को लेकर कुछ हद तक उत्साहित है. जामनेर के राजनीतिक इतिहास मे ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी जनप्रतिनिधि को राज्य सरकार की कैबिनेट मे बतौर मंत्री दो बार जगह मिली है. इनडोर स्टेडियम निर्माण के लिए शहर के वाकी रोड, पुराने हिवरखेड़ा रोड और जलगांव रोड की निजी मिलकीयतो वाली जमीनो से 5 एकड़ भूखंड को चिन्हित कर आबंटित किया गया तो बढ़िया इनडोर स्टेडियम बन सकेगा इस काम को लेकर मंत्री महाजन द्वारा स्वसंज्ञान से सरकारी प्रयासो को गति देने की मांग अभिभावकों और युवाओं की ओर से की जा रही है.


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