सेव एनवायरनमेंट ब्रिगेड के शानदार 12 साल पूरे होने पर सह संस्थापक मिलिन्द शुक्ल का साक्षात्कार | New India Times

वी.के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:

सेव एनवायरनमेंट ब्रिगेड के शानदार 12 साल पूरे होने पर सह संस्थापक मिलिन्द शुक्ल का साक्षात्कार | New India Times

सेव एनवायरनमेंट ब्रिगेड के सचिव, उपाध्यक्ष व अध्यक्ष पद पर आसीन रहे हैं और सह संस्थापक भी हैं। प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित, गोला टूरिज्म के कार्य समिति व प्रबंधन प्रमुख और इंजीनियरिंग के छात्र भी हैं….

• संस्था की स्थापना व इसके लक्ष्यों के विषय में बताएं?
सेव एनवायरनमेंट ब्रिगेड यानी पर्यावरण संरक्षण बल की स्थापना का विचार हमारे मित्र प्रशांत मणि शुक्ल का था जो संस्था के संस्थापक भी हैं व संस्था के पहले अध्यक्ष भी रहे हैं।तब हमारी उम्र 8 से 9 वर्ष की थी। गर्मियों की छुट्टियों के सदुपयोग के लिए हमने इस संस्था की नींव रखी थी,जिसने एक व्यापक संगठन की नींव रखी।हमारा प्रमुख लक्ष्य स्थापना से अब तक का समाज के अंदर पर्यावरण के प्रति जागरूकता व समर्पण की भावना को उत्पन्न करना है और यही बात हमने अपने सफल अभियानों व कार्यक्रमों में प्रदर्शित की है।
• वर्तमान में आप कहाँ शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं व संस्था में किन विशेष पदों पर आसीन रहें हैं?
मैं भारत के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट/विश्वविद्यालय श्री माता वैष्णों देवी विश्वविद्यालय,कटरा,जम्मू एवं कश्मीर से बीटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर रहा हूँ।संस्था के सह संस्थापक के साथ ही, मैं दो बार सचिव,दो बार उपाध्यक्ष व तीन बार अध्यक्ष पद पर आसीन रहा हूँ।
• गोला गोकर्णनाथ में स्थित मुखर्जी पार्क के लिए संस्था द्वारा चलाये गए कायाकल्प अभियान जिसने पार्क की स्थिति को बदल कर रख दिया उसके बारे में बताएं ?
वर्ष 2009 में स्थापना के साथ ही हमने नगर के इस एक मात्र पार्क पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी पार्क की स्थिति को बदलने का संकल्प लिया था व हमारे संगठन के प्रत्येक सदस्य के समर्पण व नगर पालिका परिषद के सहयोग से हमने इस बदलाव को यथार्थ में धरातल पर उतारा। पार्क के कायाकल्प में समस्याएं जैसे उस समय विशेष समस्या वृक्षों के न चलने की,पार्क में गंदगी की व पार्क सुरक्षा की थी। जिस पर संस्था ने नगर पालिका परिषद के सहयोग से समस्याओं का निराकरण किया।आज यह पार्क नगर की सुंदरता में एक विशेष केंद्र है।हम पार्क के आज स्वरूप के लिए नगर पालिका,पार्क के माली व सफाई कर्मचारियों का भी आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने हमारे प्रयासों को सहयोग देकर उन्हें बरकरार रखा।
• संस्था के वृक्षावरण अभियान व अन्य अभियानों के विषय में बताएं?

स्थापना से अब तक अनेक अभियानों ने हमने पर्यावरण के लिए केवल प्रयोग नही किये बल्कि सफल कार्य किये हैं।2011 में तीर्थ सफाई अभियान,2009 से 2017 तक पर्यावरण संरक्षण व जागरूकता रैली, 2012 से 2017 तक वृहद वृक्षारोपण अभियान, 2011 से 2017 मध्य तक कायाकल्प अभियान, 2017 में ही पॉलीथिन बहिष्कार अभियान जिसके अंतर्गत हमने 2000 से ज्यादा कपड़े के थैलों का वितरण किया व लोगों को पॉलीथिन की जगह थैलों के प्रयोग हेतु जागरूक किया, जिसमें उस वक्त जागरूकता की दर 76% रही थी, वसुंधरा अभियान, 2018 में गोला टूरिज्म के सहयोग से प्राणवायु अभियान जो वर्तमान में भी जारी है। आपने वृक्षावरण अभियान के विषय में पूछा तो मैं यह अवश्य कहूँगा की 2009 से अब तक हमने 1500 से अधिक वृक्षों का रोपण व 800 से अधिक वृक्षों का दान किया है।
• वर्तमान में जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से आ रही आपदा व वनों के कटाव का कारण आप क्या मानते हैं व इन पर रोकथाम कैसे हो सकती है?
आबादी का बढ़ना इसका बहुत बड़ा कारण है क्योंकि इसके साथ व्यक्ति की जरूरत व संसाधनों की आवश्यकता अधिक हो जाती है साथ ही इसके कारण वनों का कटाव,नदियों में गन्दगी व उनके तटों पर निर्माण व कब्जा,तालाबों व पोखरों का पटाव बढ़ जाता है व जिससे पर्यावरण असंतुलन बढ़ता है।साथ ही विज्ञान का आवश्यकता से अधिक विकास व प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी इसका प्रमुख कारण है जो आपदाओं व गंभीर समस्याओं को विश्व के समक्ष प्रस्तुत कर रहा है। रोकथाम हेतु सरकार के साथ साथ समाज को भी जागरूक होना होगा।वनों के कटान को कम करने के लिए वृक्षारोपण ही एकमात्र सहारा हो सकता है,विद्यालय व विश्वविद्यालय स्तरीय शिक्षा में जो पर्यावरण विषय हैं भी वह केवल पढ़ाने तक सीमित है उन्हें जागरूकता का माध्यम भी बनाना होगा।शहरी कचरे से कंपोस्ट व नाली के पानी का ट्रीटमेन्ट कर उससे स्टीम एनर्जी बनाई जा सकती है ऐसे प्रयोग भारत के कई हिस्सों में हुए भी हैं जो सफल साबित हुए हैं।इसी कचरे से रोड भी बनाई जा रही है जिसे प्रभावी रुप से लागू करना चाहिए क्योंकि इससे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सीमित हो सकेगा।सोलर एनर्जी जो भगवान भास्कर का आशीर्वाद है उसका प्रयोग देश कर भी रहा है व केंद्र द्वारा स्थापित अंतरराष्ट्रीय सोलर एलायन्स इसका विश्व स्तरीय व्यापक स्वरूप है। खीरी जो उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला है यहां प्रदेश का एक मात्र राष्ट्रीय उद्यान है व युगों पुराना भगवान शिव का मंदिर है। यहां सोलर प्लांट की स्थापना से जिले को प्राकृतिक ऊर्जा के प्रयोग की तरफ अग्रसर किया जा सकता है। पर्यावरण संरक्षण हेतु बहुत बड़े कानूनों की नही बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को समाज व राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों को समझने की जरूरत है जो कल्याण का माध्यम बन सकता है।
• गोला गोकर्णनाथ के आप निवासी हैं व एस.ई.बी ने नगर के लिए बहुत कुछ किया है परंतु नगर को पर्यटन नगरी का दर्जा नही मिल सका है इस पर आप क्या सोचते हैं?
गोला गोकर्णनाथ की पहचान श्री गोकर्णनाथ महादेव के आशीर्वाद से है।मैं एक बात यह भी कहना चाहता हूं कि मैं गोला टूरिज्म का कार्य समिति एवं प्रबंधन प्रमुख भी हूँ।गोला टूरिज्म ने नगर के लिए बड़े कार्य किये हैं और डिजिटल व विश्व पटल तक नगर के नाम को प्रदर्शित किया है। माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा चुनावी सभा के समय श्री काशी विश्वनाथ धाम के तर्ज पर श्री गोकर्णनाथ धाम बनवाने की बात कही थी। भविष्य में इस धाम के बनने से नगर के गौरव में वृद्धि होगी व पर्यटन में भी वृद्धि होगी।बात रही पर्यटन नगरी की तो सरकार को गोला गोकर्णनाथ को पर्यटन नही धार्मिक नगरी के रूप में विकसित करना चाहिए क्योंकि गोला नगर धार्मिक स्थान है व यहां स्थित सभी प्राचीन मंदिर धार्मिक महत्व के केंद्र हैं।
• अंत में पर्यावरण संरक्षण पर आपका सन्देश व भविष्य में एस.ई.बी की योजना क्या है?
वर्तमान में संस्था का पूरा ध्यान अपने अभियानों के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ना है क्योंकि हमारा मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति की जागरूकता व पर्यावरण से जुड़ाव से ही बदलाव संभव हो सकता है।प्राणवायु अभियान का प्रारंभ संगठन ने वर्ष 2020 में किया था जिसके अंतर्गत अब तक 550 से अधिक लोग व संगठन हमसे जुड़ें है।हमने लखनऊ में व ओड़िसा में भी मित्रों की सहायता से शाखा की स्थापना की है जो पर्यावरण जागरूकता की ओर धीरे धीरे अग्रसर हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वयं का जागरूक होना ही आवश्यक है सरकार व संस्थाओं के प्रयास तब तक सफल नही होते हैं जब तक समाज का हर व्यक्ति पर्यावरण व धरती के प्रति अपने दायित्वों का निर्वाह नही करता हैं। हमें प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से संसाधनों के उपयोग की ओर बढ़ना होगा और गन्दगी व कचरे के पुर्नचक्रण से कार्य करने होंगे।आंदोलनों से कुछ समय के लिए जागरूकता लायी जा सकती है परंतु लंबे समय के लिए बदलाव लाने के लिए अपने दायित्वों को समझना आवश्यक है।


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