शिक्षा, व्यवस्था हुई अस्तव्यस्त, शिक्षा सिर्फ बन कर रह गया है व्यपार: भूपेंद्र पांडेय | New India Times

अबरार अहमद खान, रीवा/भोपाल (मप्र), NIT:

शिक्षा, व्यवस्था हुई अस्तव्यस्त, शिक्षा सिर्फ बन कर रह गया है व्यपार: भूपेंद्र पांडेय | New India Times

समाजसेवी भूपेंद्र पांडेय ने एनआईटी को बताया कि आज हर जिले में शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहें की आखिर सरकार के बडे़ बडे़ वादे कहाँ गायब हो गए! शिक्षा व्यवस्था आज समाज के लिए कितना जरुरी है लेकिन सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते नजर आ रही है. आपको बताते चले शिक्षा व्यवस्था का स्तर इतना नीचे हो गिर चुका है की बच्चें विद्यालय जाना तक पन्सद नहीं करते हैं सरकारी विद्यालय की स्थिति बद से बस्तर हो चुकी है अध्यापक सिर्फ अपनी हाज़िर के लिए उपस्थित दे रहे हैं ना की आने वाले विद्यालय में बच्चों के लिए खुलेआम सरकारी विद्यालय में देश का भविष्य कहलाने वाले बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते नज़र आ रहें भष्ट अधिकारी की मिलीभगत से अध्यापक आपको बतातें चले यह स्थिति रीवा सीधी सिंगरौली सतना के सरकारी विद्यालय की स्थिति है

विद्यालय बन गया व्यपार

श्री पांडेय ने नाराजगी जाहिर करते हुए बताया कि शिक्षा व्यवस्था को एक व्यपार बन दिया गया है, सरकार की नीतियां फेल हो गई हैं एवं भष्ट अधिकारी अपनी जेब गरम करने में लगे हुए हैं. आपको बतातें चले आज शिक्षा जो समाज के उतना जरुरी है जितना भोजन, अगर इन्सान को भोजन ना मिले तो वह कुछ दिन तक रह सकता है लेकिन अगर शिक्षा ना मिले तो वह अपनी जिंदगी कैसे गुजार सकता? आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की सरकार कहती है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था एक नंबर पर आ गया है लेकिन हकीकत में आज के समय शिक्षा एक अच्छा व्यपार बन चुका है और भ्रष्ट शिक्षा अधिकारी अपनी अपनी जेब गरम कर रहे हैं. शिक्षा अधिकारी बिना जांच के की नये विद्यालय में क्या व्यवस्था है और शिक्षा व्यवस्था में अध्यपाक कैसे आ रहे हैं, बिना जांच पडताल किए अनुमति प्रदान कर दे रहे हैं और वह शिक्षा की दुकान खोल कर अपने साथ शिक्षा अधिकारी की भी जेब गरम कर रहे हैं और आम जनमानस सिर्फ इसलिए अपने बच्चों का दाखिला करता है की सरकारी विद्यालय में कोई व्यवस्था नहीं है तो प्राइवेट स्कूलों में अच्छी शिक्षा व्यवस्था होगी लेकिन प्राइवेट स्कूलों की स्थिति सिर्फ व्यस्था के नाम फीस और हकीकत में व्यवस्था कुछ नहीं यहाँ तक की बिना लाइसेंस के चल रहे हैं शिक्षा संस्थान लेकिन शिक्षा अधिकारी अपनी जेब गरम कर रहे हैं और सब मिलकर देश के भविष्य कहलाने वाले बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.


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